--
-- --
--
-- Sponsored Links:-
-- --
--
नई दिल्ली : ट्रेनों में
सिर्फ रेल नीर बेचने के रेलवे के आदेश के खिलाफ वेंडरों की याचिका पर तेज़
सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। हालांकि, कोर्ट ने अपने उस
अंतरिम आदेश को वापस ले लिया है। जिसमें, मुंबई ज़ोन के वेंडरों को ट्रेन और
स्टेशनों में सिर्फ रेल नीर बेचने से छूट दी गई थी।
आल इंडिया रेलवे कैटरर्स एसोसिएशन का कहना है
आल इंडिया रेलवे कैटरर्स एसोसिएशन का कहना
है कि सिर्फ रेल नीर बेचने का आदेश उनके व्यापार के अधिकार का हनन है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सुनते हुए मई में मुंबई ज़ोन के वेंडरों को
छूट दे दी थी। लेकिन, आज कोर्ट ने कहा कि पहली नज़र में ये लगता है कि कैटरर
रेलवे के साथ हुए करार से बंधे हैं।
फ़िलहाल किसी को भी कोई छूट नहीं दी जा सकती
फिर भी जो संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं,
उनके मद्देनज़र अदालत मामले को सुनेगी। फ़िलहाल किसी को भी कोई छूट नहीं दी
जा सकती। अदालत ने अपना अंतरिम आदेश वापस ले लिया। सुप्रीम कोर्ट में दायर
याचिका में रेल नीर के अलावा कोई भी बोतलबंद पानी न बेचने के फरमान को
व्यापारियों के साथ ही यात्रियों के अधिकारों के भी खिलाफ बताया गया है।
रेल नीर के कुछ सैंपल लैब टेस्ट में अशुद्ध पाए गए हैं
याचिका के मुताबिक संविधान हर नागरिक को
कानून के दायरे में मुक्त हो कर व्यापार करने का अधिकार देता है। साथ ही,
यात्रियों को भी पानी के लिए सिर्फ एक विकल्प तक सीमित रखना गलत है। याचिका
में कहा गया है कि रेल नीर के कुछ सैंपल लैब टेस्ट में अशुद्ध पाए गए हैं। ऐसे में यात्रियों को बेहतर विकल्प मिलने चाहिए।
कैटरर्स को रेलवे के आदेश का पालन करना होगा
कोर्ट ने कहा कि वो इन तमाम पहलुओं पर
विचार करेगा। लेकिन फिलहाल कैटरर्स को रेलवे के आदेश का पालन करना होगा। गौरतलब है कि ट्रेनों में मनमाने रेट पर यात्रियों को पानी बेचने के मामले
भी सामने आते रहते है। एक बार एक यात्री ने ट्वीट कर इसकी शिकायत की थी
जिसके बाद महिला यात्री को खुद डीआरएम ने उचित दाम में पानी दिलाया था।
-- Sponsored Links:-
0 comments:
Post a Comment