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दुर्घटना से देर भली- आपने इस स्लोगन को कई बार पढ़ा है और टीवी पर इसके प्रचार भी देखे होंगे, लेकिन जमशेदपुर से 60 किलोमीटर दूर घाटशिला अनुमंडल के धालभूमगढ़ रेलवे स्टेशन के पास का नजारा आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। लंबी दूरी से बचने के लिए स्कूल के छोटे-छोट बच्चे ट्रैक पर खड़ी ट्रेन के नीचे से आने-जाने का रास्ता बना लिया है।
बच्चे न सिर्फ ड्रेस में होते हैं, बल्कि पीठ पर बस्ता भी टंगा होता है, पर इन पर किसी की नजर नहीं जाती है और न ही इन्हें कोई रोकता है। दरअसल, इस स्टेशन में प्लेटफॉर्म एक और दो के बीच ही ओवरब्रिज है। स्टेशन पर होने के किये लोगों को तब तक इंतज़ार करना पड़ता है जब तक की ट्रेन नहीं गुजर जाती। स्कूल पहुंचने में देरी न हो, इसीलिए इन स्कूली बच्चों ने यह रास्ता चुना है।
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दुर्घटना से देर भली- आपने इस स्लोगन को कई बार पढ़ा है और टीवी पर इसके प्रचार भी देखे होंगे, लेकिन जमशेदपुर से 60 किलोमीटर दूर घाटशिला अनुमंडल के धालभूमगढ़ रेलवे स्टेशन के पास का नजारा आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। लंबी दूरी से बचने के लिए स्कूल के छोटे-छोट बच्चे ट्रैक पर खड़ी ट्रेन के नीचे से आने-जाने का रास्ता बना लिया है।
बच्चे न सिर्फ ड्रेस में होते हैं, बल्कि पीठ पर बस्ता भी टंगा होता है, पर इन पर किसी की नजर नहीं जाती है और न ही इन्हें कोई रोकता है। दरअसल, इस स्टेशन में प्लेटफॉर्म एक और दो के बीच ही ओवरब्रिज है। स्टेशन पर होने के किये लोगों को तब तक इंतज़ार करना पड़ता है जब तक की ट्रेन नहीं गुजर जाती। स्कूल पहुंचने में देरी न हो, इसीलिए इन स्कूली बच्चों ने यह रास्ता चुना है।
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