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बुलंदशहर हाईवे पर मां-बेटी से
गैंगरेप की घटना ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। हाईवे पर उस खौफनाक
रात को याद करके सबकी रूह कांप जाती है। बोलने की कोशिश करते हैं लेकिन
जुबान नहीं खुलती। पत्नी और बेटी के साथ हुई दरिंदगी के बारे में सोचकर
परिवार का मुखिया बेसुध हो जाता है। अपने साथ हुई घटना को बयां करते-करते
हुए वो सुबकने लगता है। पीड़ित परिवार के इस मुखिया ने घोषणा कर दी है अगर
तीन महीने में उसे सरकार से इंसाफ नहीं मिला तो वो बेटी और पत्नी के साथ
मिलकर जहर खा लेगा। सामूहिक खुदकुशी कर लेगा।
परिवार के मुखिया ने इलेक्ट्रानिक मीडिया
को उस रात की खौफनाक कहानी- रात को नौ बजे हम घर से निकले। बीच में बड़े ताऊ
के लड़के रहते हैं। वहां से उनको, भाभी और भतीजे को लिया। रात को साढ़े 11
बजे खाना खाने के बाद निकल गए। बुलंदशहर से दो किलोमीटर पहले ऐसा लगा कि
गाड़ी में किसी ने कोई चीज मारी है। मैंने सोचा कोई पत्थर लगा होगा
इसलिए ध्यान नहीं दिया। थोड़ी दूर आगे चलकर ऐसा लगा कि मेरी गाड़ी में से कोई
चीज खुल गई है। मैने गाड़ी रोककर नीचे उतरकर देखा तो गाड़ी ठीक थी। इसी बीच
पांच लोगों ने आकर मुझे घेर लिया। मेरी कनपटी पर तमंचा रखकर बोले हाथ
ऊपर करो। हाथ ऊपर करो। दो मिनट में मेरे हाथ बांध दिए। जो हमारे साथ लेडीज
थीं, उन्हें गाड़ी में ही छोड़ दिया। हम तीनों लोगों को खेत के रास्ते ले गए।
बांधकर ज्वार के खेत में डाल दिया। खेत में हमें बहुत मारा। हम पड़े रहे।
उन्होंने हमें सरियों से मारा। हथौड़ों से
मारा। पैसे पूछे तो हमने कहा जो तुमने लिए हैं, वही हैं। करीब 15 मिनट बाद
गाड़ी को वे वहीं ले आए। बैग में सारा सामान देखने के बाद गालियां देने लगे।
हमें और लेडीज को गालियां देने लगे। गाड़ी स्टार्ट की। गाड़ी निकालने की
कोशिश की तो गाड़ी फंस गई। इस पर वे लड़ने लगे। एक कहता है कि गाड़ी यहां लाने
को मना किया था। फिर भी नहीं माना। फिर उन्होंने ज्वार उखाड़कर गाड़ी ढंक
दी। बोले, ट्रैक्टर लाएंगे उससे निकालेंगे। एक कहने लगा कि यहां कौन
बैठेगा, तो दूसरे ने कहा कि यहां असलम बैठेगा। वो वहीं बैठ गया। हमने इसके
बाद हमने उससे पानी मांगा तो उसने बहुत मारा।
इसके काफी देर बाद हमारे भतीजे ने पापा के
पैर खोलने की कोशिश की तो हमने कहा कि बेटा मत खोलो। ये मार देंगे। उसने
कहा कि चाचा यहां नहीं हैं। इसके बाद मैंने बेटी और पत्नी को आवाज लगाई तो
उन्होंने जवाब दिया। हमें लगा कि अब यहां कोई नहीं है। इसके बाद भतीजा मुंह
से खोलने की कोशिश करने लगा। हमारे हाथ बहुत मजबूती से बांध दिए थे। इसी
बीच मेरी पत्नी और बेटी खुद को खोलकर आ गईं। हमने देखा तो हमारी कार में
हमारे मोबाइल पड़े हुए थे। उन्हें बदमाशों ने कार में ही फेंक दिया था। मैने
100 नंबर पर फोन किया लेकिन वो 15 मिनट तक नहीं उठा। इसके बाद मैंने नोएडा
में अपने एक जानकार को फोन कर बताया कि हमारे साथ इस तरह की घटना हो गई
है। इसके बाद उसने मुझे कहीं से नंबर लेकर एसएसपी को फोन किया। फिर
उन्होंने मुझे नंबर दिया। मैने कप्तान साहब से बात की तो उन्होंने पूछा कि
कहां पर हो।
मैंने उनसे कहा कि मुझे नहीं पता कि कहां
हूंं लेकिन हम बुलंदशहर से दो किलोमीटर दूर हैं। इसके 15-20 मिनट बाद पुलिस
की गाड़ियां वहां पर आ गईं। मेरी बेटी चिल्लाती रही। हम कुछ नहीं कर पाए।
सुबकते हुए बताते हैं कि जो पैसा-जेवर था वो पहले ही उतार लिया था। इसके
बाद लेडीज के कपड़े उतारकर उन्होंने तलाशी ली। मेरी बेटी मदद को चिल्लाती
रही...पापा...पापा बचा लो। लेकिन हम कुछ नहीं कर पाए। इस पर मैने विरोध
किया तो उन्होंने बहुत मारा। बोलने लगे कि पड़ा रह नहीं तो गोली मार देंगे।
बच्ची और पत्नी से कहा कि तुमने इसके बारे में किसी को कुछ बताया तो
तुम्हारे पापा तुम्हारे हसबैंड को गोली मार देंगे। सुबकते हुए पीड़ित ने
कहा, अगर हमें न्याय नहीं मिला तो तीनों जहर खाकर मर जाएंगे। हम दुनिया में
किसी को भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रहे हैं। हमें न्याय चाहिए।
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