आनंदीबेन का इस्तीफा

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गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व को इस्तीफा मिल गया है और केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में अगले कदम के बारे में फैसला होगा। राज्य में नए के लिए राज्य सरकार में मंत्री नितिन पटेल व प्रदेश अध्यक्ष विजय रूपाणी का का नाम प्रमुख है।
पाटीदार आंदोलन से लेकर उना विवाद तक आनंदी बेन पटेल लगातार विवादों में घिरी रही थी। ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा नेतृत्व पर राज्य में मुख्यमंत्री बदलने का भारी दबाब था।
गौरतलब है कि लगभग ढाई महीने पहले भाजपा उपाध्यक्ष ओम माथुर ने गुजरात पर अपनी अंदरूनी रिपोर्ट में आनंदी पटेल को हटाए जाने का सुझाव दिया था। इसके बाद आंनदी पटेल को पटेल को हटाए जाने की अटकलें तेज हो गई थी। इलाहाबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक व उपचुनाव के चलते इसे टाल दिया गया था। हालांकि आनंदी बेन पटेल ने इस साल नवंबर में 75 साल पूरे होने को इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा है कहा है कि उनको दो माह पहले ही कार्यमुक्त कर दिया जाए ताकि विधानसभा चुनाव व बाइब्रेंट गुजरात से पहले नए नेतृत्व को समय मिल सके।
फेसबुक पर लिखा: आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे का जानकारी उनके फेसबुक पोस्ट से मिली, जिसकी बाद में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पुष्टि की। अपने पोस्ट में आनंदी बेन ने लिखा था कि पिछले कुछ समय से पार्टी की यह परंपरा रही है कि जो लोग 75 वर्ष की आयु पूरी कर लेते हैं वे अपने पद से स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत हो जाते हैं । नवंबर में मैं 75 वर्ष की आयु पूरी कर लूंगी। दो महीने पहले पार्टी से अनुरोध किया था कि उन्हें इस पद से मुक्त कर दिया जाए और आज इस पत्र के जरिए वे पार्टी से इस पद से मुक्त करने का अनुरोध करती हैं।
आनंदीबेन के बाद कौन
आनंदी बेन पटेल के बाद गुजरात के सीएम के तौर पर नितिन पटेल का नाम सबसे आगे चल रहा है। इसके अलावा पार्टी पुरुषोत्तम रुपाला या विजय रुपानी के नाम पर विचार कर सकती है।
नितिन पटेल : 60 साल के नितिन पटेल फिलहाल राज्य में मंत्री हैं। उनका नाम पहले भी गुजरात में नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर आगे आया था।
विजय रुपानी : राजकोट पश्चिम के विधायक रुपानी फिलहाल गुजरात में कैबिनेट मंत्री हैं। पुराने कद्दावर नेता हैं और इमरजेंसी में जेल भी जा चुके हैं।
पुरुषोत्तम रुपाला : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और गुजरात के बड़े पाटीदार नेता हैं। फिलहाल में केंद्र में पंचायती राज के राज्यमंत्री हैं। उनका सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात में काफी प्रभाव है। पर वे शाह और आनंदी के विरोधी माने जाते हैं।
बीते एक साल में कई मोर्चों पर घिरी रही आनंदी
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात की मुख्यमंत्री बनी आनंदी बेन पटेल बीते दो सालों में विभिन्न समस्याओं व विवादों से जूझती है। बीते एक साल में तो वे पाटीदार आरक्षण को लेकर हार्दिक पटेल के आंदोलन से लेकर उना में दलितों की पिटाई तक पार्टी के भीतर व बाहर निशाने पर रही। सरकार पर पकड़ न होने के आरोप भी उन पर लगे। पटेल पर अपनी बेटी अनारा को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। इस बीच राज्य में नगर निगम चुनावों में तो भाजपा ने जीत हासिल की लेकिन जिला पंचायत चुनाव में करारा झटका लगा, जिससे यह संदेश गया कि गांवों में भाजपा कमजोर पड़ रही है।
क्या थे कारण
पिछले साल राज्य में हिंसक पाटीदार अथवा पटेल आरक्षण आंदोलन के बाद से ही पटेल की विदाई की अटकलें तेज थी। पिछले महीने उना दलित कांड के बाद राज्यव्यापी हिंसक विरोध प्रदर्शनों को लेकर इन अटकलों ने फिर जोर पकड़ लिया था। उन्हें पंजाब का राज्यपाल बनाए जाने की भी अटकले थीं।


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