अब दूध वालों की बजी बैंड

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से कहा है कि दूध में मिलावट करने वालों को उम्रकैद जैसी कड़ी सजा देने का कानून बनाने पर विचार करे। क्योंकि दूध का सेवन बच्चों समेत लोगों का एक बड़ा समूह करता है। कोर्ट ने स्वामी अच्युतानंद तीरथ समेत अन्य द्वारा दाखिल जनहित याचिकाओं पर यह फैसला दिया। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध का गोरखधंधा चल रहा है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर, आर भानुमति और यूयू ललित की पीठ ने शुक्रवार को दिए फैसले में सरकार को कई अन्य निर्देश भी दिए हैं। पिछले चार वर्षों से सरकार को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 में बदलाव करने के लिए कहने के बावजूद कोई नतीजा सामने न आने पर कोर्ट ने ये निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार यूपी, ओडिशा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों द्वारा कानूनों में किए गए संशोधन को देखते हुए आईपीसी में जरूरी संशोधन करे। अदालत का मानना है कि मौजूदा प्रावधानों के तहत दोषियों के लिए छह महीने की सजा का प्रावधान है, जो पर्याप्त नहीं है। न ही इस सजा का मिलावटखोरों पर भयात्मक प्रभाव है। शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि नवजात बच्चे समेत काफी संख्या में लोग दूध का सेवन करते हैं। ऐसे में उनके स्वास्थ्य को देखते हुए मिलावटी दूध के गोरखधंधे में लिप्त लोगों पर सख्ती बरतनी जरूरी है।
इन राज्यों में है उम्रकैद की सजा
यूपी, ओडिशा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने दूध में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा देने का प्रावधान दो वर्ष पहले ही बना लिया है। लेकिन यूपी समेत अन्य राज्यों में अब भी बड़ी मात्रा में मिलावट का गोरखधंधा चल रहा है।
शीर्ष अदालत के महत्वपूर्ण निर्देश
-केंद्र और राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए उचित कदम उठाए
-डेयरी मालिकों और दूध के खुदरा विक्रेताओं तक यह जानकारी पहुंचाएं कि यदि दूध में मिलावट की तो उन पर कड़़ी कार्रवाई होगी
-उन इलाकों की पहचान करने के लिए कहा गया है जहां मिलावटी दूध का धंधा बड़े पैमाने पर होता है
-दूध की जांच के लिए पर्याप्त संख्या में प्रयोगशालाएं बनाई जाएं तथा मोबाइल जांच किट और वैन दिए जाएं
-दूध में मिलावट रोकने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उचित राज्य कमेटी बनाए



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