पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका

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नई दिल्लीः ईरान ने भारत को कच्चे तेल की मुफ्त ढुलाई बंद कर दी है। ये खबर आम आदमी के लिए भी खराब साबित हो सकती है क्योंकि ईरान के भारत को क्रूड की फ्री शिपिंग बंद करने के बाद पेट्रोल-डीजल महंगा हो सकता है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में बुधवार को ये जानकारी देते हुए बताया कि ईरान के इस फैसले के बाद मेंगलूर रिफाइनरी (एमआरपीएल) और एस्सार ऑयल जैसी कंपनियों को ढुलाई का प्रबंध खुद करने के लिए कहा गया है। 
क्या होगा भारतीय कंपनियों को असर
2013 से ईरान पर प्रतिबंध लगे थे जिसके बाद नवंबर 2013 में भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को कच्चे तेल की मुफ्त ढुलाई की पेशकश की थी। इन्हीं प्रतिबंधों की वजह से ईरान, भारत को देने वाले तेल का भाड़ा नहीं लेता था, क्योंकि पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उसका एक्सपोर्ट कम हो गया था और अब तक उसके पास तेल के ग्राहक नहीं थे। प्रतिबंध के डर से शिपिंग लाइनों ने ईरानी कच्चे तेल के परिवहन से इनकार कर दिया था, ऐसे में ईरान ने सप्लाई के लिए अपनी शिपिंग लाइन का इस्तेमाल किया और इसके लिए शुल्क नहीं लिया। लेकिन अब जब ईरान पर प्रतिबंध खत्म हो गए है तो भारतीय तेल कंपनियों को अभी तक ईरान से जो कच्चा तेल सस्ते में मिलता था, वो अब नहीं मिल पाएगा। हाल ही में जनवरी में ईरान पर लगे प्रतिबंध खत्म हो गए हैं। 
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में बताया कि ईरान ने कच्चे तेल की फ्री शिपिंग बंद कर दी है और अब भारतीय तेल शोधक कंपनियों को कच्चे तेल के भाड़े की व्यवस्था स्वयं करनी होगी। अब तक ईरान खुद भारत को तेल भेजा करता था और इसका आधा किराया लेता था। गौरतलब है कि अब तक ईरान ये किराया रुपये में लिया करता था और लेकिन अब भारतीय रिफाइनरियों को पूरा किराया देना पड़ेगा और वो भी यूरो में जिससे तेल कंपनियों पर और ज्यादा आर्थिक दबाव आएगा। भारतीय रिफाइनरियों पर ईरान का 650 करोड़ डॉलर (43,000 करोड़ रुपये) बकाया है जिसका भुगतान ईरान यूरो में चाहता है। 
धर्मेंद प्रधान ने राज्यसभा में कहा कि “अप्रैल, 2016 से नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी (एनआईओसी) ने आयातक कंपनियों एमआरपीएल और एस्सार ऑयल को सूचित किया है कि भविष्य की आपूर्ति फ्री-ऑन बोर्ड (एफओबी) आधार पर की जाएगी। फ्री ऑन बोर्ड व्यापार की एक टर्म है जिसमें विक्रेता को सामान को खरीदने वाले द्वारा मुहैया कराए गए शिप में डिलीवरी देनी होती है। यानी कच्चे तेल की ढुलाई का प्रबंध खुद खरीदार यानी भारतीय कंपनियों को करना होगा। माना जा रहा है कि तेल कंपनियां अपने बढ़े खर्चों को बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं। 

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