नई दिल्ली : उद्योगपति विजय माल्या का देश से रफूचक्कर होने का मामला आज संसद में गूंजा. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह मसला उठाया. इसके बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसका जवाब भी दिया. विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि माल्या के विदेश जाने में सरकार ने उनकी मदद की है. इस मामले में सरकार भी पार्टी है. आजाद ने यह भी कहा कि माल्या को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया.
उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि आखिर लुक ऑउट नोटिस के बावजूद विजय माल्या जैसा आदमी भाग कैसे गया. इससे पहले लोकसभा में किरीट सोमैया और राज्यसभा में जयराम रमेश ने इस मसले पर नोटिस दिया था. इस मामले को लेकर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है. एजेंसी मामले को खंगाल रही है कि आखिर माल्या देश छोड़कर चले कैसे गए.
इसके जवाब में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि माल्या को उस समय लोन दिया गया जब उनकी बैंक अकाउंट अच्छी स्थिति में नहीं थे. इसके साथ ही उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि यूपीए के शासनकाल में ही माल्या पर मेहरबानी हुई है. साथ ही उन्होंने कहा कि यूपीए को माल्या के मुद्दे पर सोचना चाहिए. वित्तमंत्री ने पूछा कि आखिर 2009 में NPA होने के बाद भी माल्या पर मेहरबानी क्यों हुई.
विजय माल्या उस समय देश से बाहर चले गए हैं जबकि सीबीआई ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर रखा है. लुकआउट नोटिस का मतबल ये है कि वो बिना इजाजत देश छोड़कर नहीं जा सकते थे. माल्या फिलहाल कहां है ये बात कोई नहीं जानता. 17 बैंकों के करीब 7 हजार 800 करोड़ रुपये का क्या होगा, ये भी कोई नहीं जानता.
उद्योगपति विजय माल्या को आईडीबीआई बैंक से भी लोन मिला था. सीबीआई को अब तक की जांच के दौरान इस लोन की रकम में से सोलह करोड़ रुपये की धनराशि का पता नहीं चल सका है. इसीलिए सीबीआई को शक है कि कही ये रकम घूस के तौर पर तो अदा नहीं की गई थी. एबीपी न्यूज के पास सीबीआई की जांच रिपोर्ट मौजूद है.
शराब के सबसे बड़े कारोबारी विजय माल्या बैकों को हजारों करोड़ रुपये की अपनी देनदारी को चर्चा में है लेकिन माल्या अपनी जिंदादिली और लाइफ स्टाइल को लेकर भी सुर्खियां बटोरते रहे हैं. किंगफिशर एयरलाइन भले ही कंगाल हो चुकी है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उद्योग जगत के इस ग्लैमर किंग का गेम खत्म होने वाला है.
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