--इंदौर: 'लिव-इन-रिलेशनशिप' से 17 साल पहले पैदा बेटी को उसके जैविक पिता से भरण-पोषण का खर्च पाने की अधिकारी करार देते हुए इंदौर में परिवार न्यायालय ने एक व्यक्ति को आदेश दिया है कि वह अपनी संतान को हर महीने सात हजार रुपये का गुजारा भत्ता अदा करे। परिवार न्यायालय की प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश पारो रायजादा ने शहर के सुखलिया क्षेत्र में रहने वाली 48 वर्षीय महिला की अर्जी पर सुनवाई के बाद 27 जनवरी को इस आशय का अंतरिम आदेश दिया।
1992 से 2012 तक 'लिव-इन-रिलेशनशिप' में थे दोनों...
याचिकाकर्ता महिला के वकील मनीष यादव ने गुरुवार को बताया कि उनकी मुवक्किल और रमेश वर्मा (52) 1992 से 2012 तक बगैर शादी के लिव-इन-रिलेशनशिप में रहे थे। इस रिश्ते से वर्ष 1999 में बेटी का जन्म हुआ था। यादव ने बताया कि वर्मा ने वर्ष 2012 तक महिला और उसकी बेटी का खर्च उठाया, लेकिन इसके बाद इन दोनों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से कथित तौर पर मुंह मोड़ते हुए उसने मां-बेटी का खर्च उठाना बंद कर दिया। इसके बाद महिला ने गुजारा भत्ते की याचिका दायर करते हुए परिवार न्यायालय की शरण ली।
मामले में अंतिम सुनवाई होनी अभी बाकी...
उन्होंने बताया कि इस याचिका पर जब अदालत ने वर्मा को नोटिस भेजा, तो इसके जवाब में उसने इस बात से इंकार कर दिया कि याचिकाकर्ता महिला के साथ उसकी 'लिव-इन-रिलेशनशिप' से कोई संतान पैदा हुई थी। हालांकि, अदालत की मंजूरी के बाद जब इस शख्स का डीएनए टेस्ट कराया गया, तो साबित हो गया कि 17 वर्षीय लड़की का जैविक पिता वही है। यादव ने बताया कि वर्मा के साथ दो दशक तक 'लिव-इन-रिलेशनशिप' में रही महिला ने अपने जोड़ीदार से खुद के लिए भी गुजारा भत्ते की गुहार की है, लेकिन इस गुहार पर अदालत ने फिलहाल कोई आदेश नहीं दिया है। मामले में अंतिम सुनवाई होनी अभी बाकी है।
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