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देश विदेश: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि पाकिस्तान आतंक की जन्नत है. जाहिर है किसी आजाद मुल्क के लिए दुनिया के सबसे ताकवर मुल्क के राष्ट्रपति का ऐसा कहना बेहद गंभीर बात है. पर सवाल ये है कि आखिर पकिस्तान देखते ही देखते आतंक की जन्नत कैसे बन गया? वो कौन लोग हैं जिन्होंने एक आज़ाद देश को आतंक की भट्टी में झोंक दिया.
आतंकवाद के लिए पाकिस्तान किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता. क्योंकि जो उसने बोया है वही आज काट रहा है. दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अपने घर एबटाबाद में छुपा कर रखा. कश्मीर पर बुरी नजर ड़ालने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों को पैदा किया. लश्कर सरगना हाफिज सईद को पनाह दी. जैश के चीफ मौलाना मसूद अजहर के सिर पर हाथ रखा, अफगानिस्तान से भागे तो पाकिस्तान में तालिबान के लिए जमीन मुहैया कराई. शिया-सुन्नी लड़ाई को सियासत के लिए हवा दी. और भारत का मोस्ट वांटंड डॉन दाऊद इब्राहीम जब मुंबई में 93 करके हवा हुआ तो उसे भी अपनी गोद में छुपा लिया.
पाकिस्तान कैसे धोएगा ये कालिख!
1993 का मुंबई धमाका वो पहला ऐसा आतंकी हमला था जिसने पाकिस्तान को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया था. उसके बाद से तो पिछले 22 सालों में ये सिलसिला ही चल पड़ा. न जाने हिंदुस्तान के कितने शहर जख्मी और छलनी हो गए. पर पाकिस्तान के रास्ते हिंदुस्तान आने वाला आतंक बंद नहीं हुआ. दरअसल पाकिस्तान को आतंक की जन्नत बनाने वालों में वहां की सरकार से ज्यादा फौज और आईएसआई का हाथ रहा है. हिंदुस्तान को आतंक का सबसे बड़ा और पहला ज़ख़्म 1993 में लहुलुहान मुंबई की शक्ल में मिला। पूरे मुंबई को धमाकों से दहला देने वाला चेहरा तभी आम हो गया था. पर दाऊद इब्राहीम तब तक चुपके से भाग चुका था. और फिर जाकर बस गया उसी आतंक की जन्नत में, यानी पाकिस्तान में.
1993 का मुंबई धमाका वो पहला ऐसा आतंकी हमला था जिसने पाकिस्तान को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया था. उसके बाद से तो पिछले 22 सालों में ये सिलसिला ही चल पड़ा. न जाने हिंदुस्तान के कितने शहर जख्मी और छलनी हो गए. पर पाकिस्तान के रास्ते हिंदुस्तान आने वाला आतंक बंद नहीं हुआ. दरअसल पाकिस्तान को आतंक की जन्नत बनाने वालों में वहां की सरकार से ज्यादा फौज और आईएसआई का हाथ रहा है. हिंदुस्तान को आतंक का सबसे बड़ा और पहला ज़ख़्म 1993 में लहुलुहान मुंबई की शक्ल में मिला। पूरे मुंबई को धमाकों से दहला देने वाला चेहरा तभी आम हो गया था. पर दाऊद इब्राहीम तब तक चुपके से भाग चुका था. और फिर जाकर बस गया उसी आतंक की जन्नत में, यानी पाकिस्तान में.
13 दिसंबर 2001 को पहली बार आतंक संसद की दहलीज तक पहुंच गया था. आतंकवादियों को संसद भवन तक पहुंचाया था जैश के उसी मुखिया मौलना मसूद अजहर ने जो कांधार हाईजैकिंग में सौदेबाजी के बाद रिहा हो गया था. और रिहाई के बाद वो भी सीधे जा पहुंचा उसी आतंक की जन्नत में. यानी पाकिस्तान में. 26/11 को मुंबई के जख्मी सीने को फिर से छलनी किया गया था. गोलियां मुंबई में चल रही थीं, पर ट्रिगर दबाने का इशारा पाकिस्तान से हो रहा था. और इशारा कर रहा था लश्कर का चीफ हाफिज सईद. ये भी कहीं और नहीं वह पाकिस्तान में पनाह लिए हुए है. पठानकोट तो इस कड़ी में सबसे ताजा मिसाल है जहां आतंकी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से निर्देश लेकर हमला कर रहे थे.
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