जयपुर. शहर के 91 वार्डों में 39 लाख की आबादी पर सिर्फ चार
फोगिंग मशीन है। नगर निगम की सफाई व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। नतीजा,
शहर में मच्छर जनित रोग महामारी की तरह बढ़ रहे हैं। डेंगू, मलेरिया, बुखार
घर-घर पहुंच गया है। हजारों शहरवासी प्रभावित हो रहे हैं। डेूंग से अब तक
30 मौतें हो चुकी है। मरीज बढ़ते जा रहे हैं। विभाग सर्दी का इंतजार कर रहा
है क्योंकि कम तापमान में डेूंगू का लार्वा मर जाएगा। उधर, सर्दी की दस्तक
देने के साथ ही स्वाइन फ्लू से 8 लोगों की मौत हो चुकी है पर इलाज के
इंतजाम नाकाफी है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि विभाग लोगों को पुख्ता इलाज
मुहैया कराएगा या स्वाइन फ्लू के वायरस को खत्म करने के लिए गर्मी का
इंतजार करेगा।
कैसी है सफाई व्यवस्था
नगर निगम गंदगी फैलाने वालों को रोकने के लिए हर जोन में चालान काट रहा है, जबकि साफ-सफाई की खुद की व्यवस्थाएं चौपट हैं। न समय पर सफाई हो रही है, न कचरा उठ रहा है और न ही मच्छररोधी दवाइयों का छिड़काव ही किया गया है।
नगर निगम गंदगी फैलाने वालों को रोकने के लिए हर जोन में चालान काट रहा है, जबकि साफ-सफाई की खुद की व्यवस्थाएं चौपट हैं। न समय पर सफाई हो रही है, न कचरा उठ रहा है और न ही मच्छररोधी दवाइयों का छिड़काव ही किया गया है।
एयरपोर्ट से सिविल लाइंस तक साफ बाकी शहर में कचरा
निगम प्रशासन का पूरा ध्यान रिसर्जेंट राजस्थान कार्यक्रम पर केंद्रित है। एयरपोर्ट से लेकर सिविल लाइन तक की सिर्फ 20 किमी रोड पर साफ-सफाई करवाने में व्यस्त हैं, जबकि समूचे 467 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले जयपुर शहर के हालात बदतर हैं। साफ-सफाई हो नहीं रही है। कचरा परिवहन के हालात बिगड़े हैं। रोड लाइटें बंद पड़ी हैं और सड़कें बेहाल हो चुकी हैं। मेयर, कमिश्नर, हैल्थ उपायुक्त व जोन उपायुक्त सभी जेएलएन मार्ग, भवानीसिंह रोड, हवा सड़क, बाइस गोदाम पुलिया और सिविल लाइन एरिया तथा स्टेच्यू सर्किल के आसपास और सीतापुरा एरिया की नियमित दिन-रात मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
निगम प्रशासन का पूरा ध्यान रिसर्जेंट राजस्थान कार्यक्रम पर केंद्रित है। एयरपोर्ट से लेकर सिविल लाइन तक की सिर्फ 20 किमी रोड पर साफ-सफाई करवाने में व्यस्त हैं, जबकि समूचे 467 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले जयपुर शहर के हालात बदतर हैं। साफ-सफाई हो नहीं रही है। कचरा परिवहन के हालात बिगड़े हैं। रोड लाइटें बंद पड़ी हैं और सड़कें बेहाल हो चुकी हैं। मेयर, कमिश्नर, हैल्थ उपायुक्त व जोन उपायुक्त सभी जेएलएन मार्ग, भवानीसिंह रोड, हवा सड़क, बाइस गोदाम पुलिया और सिविल लाइन एरिया तथा स्टेच्यू सर्किल के आसपास और सीतापुरा एरिया की नियमित दिन-रात मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
निगम कमिश्नर के प्रयोग भी हुए फेल
सुदृढ़ीकरण के लिए निगम कमिश्नर आशुतोष एटी पेंडणेकर ने कई प्रयोग
किए। मई में 34 अफसरों को वार्डों में सफाई की नियमित मॉनिटरिंग में लगाया
गया। इन्हें रोजाना जिम्मे किए वार्डों की रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया।
लेकिन दो अफसरों को छोड़कर किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। तीन माह पहले
निगम प्रशासन ने 11 टीमों का गठन किया, जिन्हें सफाई व्यवस्था के निरीक्षण
एवं कर्मचारियों की उपस्थिति जांचना था।
इसमें उपायुक्त हवामहल जोन पूर्व, हवामहल जोन पश्चिम,
उपायुक्त-स्वास्थ्य, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता,
अधीक्षण अभियन्ता, स्वास्थ्य अधिकारी-पूर्व एवं स्वास्थ्य अधिकारी-पश्चिम व
तीन अधिशाषी अभियंता लगाए गए। राजस्व शाखा व अन्य शाखाओं के 40 अफसर
नियुक्त किए। वार्डों से निर्धारित समय से कचरा उठ रहा है या नहीं, उपलब्ध
संसाधनों का पूर्ण उपयोग हो रहा है या नहीं, लेकिन ये प्रयोग फैल ही रहे।
सफाई समितियों का अभियान भी बेअसर
निगम की तीनों सफाई समितियों ने मिलकर सफाई अभियान शुरू किया था। इसमें एक वार्ड में तीन दिन तक सफाई हो रही है। हर वार्ड में 10 बीट्स कर्मचारी अतिरिक्त लगाए गए हैं। इस काम में सफाई समिति चेयरमैन अनिल शर्मा, दिनेश अमन और प्रकाश गुप्ता लगे हुए हैं। लेकिन यह अभियान सिर्फ खानापूर्ति साबित हुआ। जिन वार्डों में सफाई हुई, वहां कचरा तक समय पर नहीं उठ पाया।
निगम की तीनों सफाई समितियों ने मिलकर सफाई अभियान शुरू किया था। इसमें एक वार्ड में तीन दिन तक सफाई हो रही है। हर वार्ड में 10 बीट्स कर्मचारी अतिरिक्त लगाए गए हैं। इस काम में सफाई समिति चेयरमैन अनिल शर्मा, दिनेश अमन और प्रकाश गुप्ता लगे हुए हैं। लेकिन यह अभियान सिर्फ खानापूर्ति साबित हुआ। जिन वार्डों में सफाई हुई, वहां कचरा तक समय पर नहीं उठ पाया।
पौने 9 हजार कर्मचारी, नहीं हो रही सफाई
8650 से ज्यादा कर्मचारी । इसमें 4894 स्थाई कर्मचारी और 3756 अस्थाई
बीट्स काम कर रही है। सड़कों पर कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं और गंदगी का
आलम यह है कि मच्छर जनित रोग दिनों दिन बढ़ रहे हैं।
जोनों में बराबर स्थाई-बीट्स कर्मचारी, फायदा नहीं 4 मशीनें रोज 25 जगहों पर ही कर पाती है फोगिंग
निगम की मलेरिया शाखा के पास सिर्फ 4 छोटी फोगिंग मशीनें हैं, जो रोजाना बमुश्किल 20 से 25 जगहों पर फोगिंग कर पा रही है। निगम ने दो प्रोग्राम बनाए हुए हैं। एक दिन में दो वार्ड के थोड़े इलाकों में फोगिंग कर पाती है। शेष दो मशीनें आम आदमी की शिकायतों पर पहुंचती हैं, वो भी अफसरों की मर्जी हो तो। एसएमएस में स्वाइन फ्लू के इंतजाम
एसएमएस अस्पताल में स्वाइन फ्लू के रोिगयों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। फिलहाल 3 आईसीयू अलग से तैयार हैं और इनमें अलग से स्टाफ भी लगाया गया है। इलाज के लिए स्वाइन फ्लू किट पर्याप्त बताई जा रही है। हालांकि एसएमएस के अलावा शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में ऐसे कोई इंतजाम नहीं है।
निगम की मलेरिया शाखा के पास सिर्फ 4 छोटी फोगिंग मशीनें हैं, जो रोजाना बमुश्किल 20 से 25 जगहों पर फोगिंग कर पा रही है। निगम ने दो प्रोग्राम बनाए हुए हैं। एक दिन में दो वार्ड के थोड़े इलाकों में फोगिंग कर पाती है। शेष दो मशीनें आम आदमी की शिकायतों पर पहुंचती हैं, वो भी अफसरों की मर्जी हो तो। एसएमएस में स्वाइन फ्लू के इंतजाम
एसएमएस अस्पताल में स्वाइन फ्लू के रोिगयों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। फिलहाल 3 आईसीयू अलग से तैयार हैं और इनमें अलग से स्टाफ भी लगाया गया है। इलाज के लिए स्वाइन फ्लू किट पर्याप्त बताई जा रही है। हालांकि एसएमएस के अलावा शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में ऐसे कोई इंतजाम नहीं है।
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