संसद में नोटबंदी पर हंगामा

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 नोटबंदी को लेकर संसद में विपक्षी पार्टियों का विरोध लगातार तीसरे दिन भी जारी हैं। नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस, तणमूल और वाम दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। भाजपा ने सभी सांसदों को लोकसभा में उपस्थित होने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। बुधवार से शुरु हुए शीतकालीन सत्र में पिछले दो दिनों लगातार नोट बंदी के मुद्दे पर हंगामा जारी है।

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बता दें कि नोट बंदी पर भारी हंगामे के बीच कल संसद के दोनों सदनों को स्थगित करना पड़ा था। नोटबंदी के मुद्दे पर गुरूवार को भी विपक्ष हंगामा जारी रखा और संसद में कार्यवाही नहीं चलने दी। इसके बाद सरकार ने देर शाम आरोप लगाया कि विपक्षी दल इस विषय पर चर्चा को बाधित करने के बहाने तलाश रहे हैं।

आपको बता दें कि राज्यसभा में विपक्षी दलों ने नोटबंदी की जानकारी लीक होने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसका जवाब देने और इसकी जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग करते हुए जोरदार हंगामा किया था, जिसके चलते सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित होने के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई थी।

उधर गुलाम नबी आजाद द्वारा गुरूवार को राज्यसभा में दिए गए विवादित बयान को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है लेकिन भाजपा इस मुद्दे को सदन में उठाने की तैयारी कर रही है। भाजपा के सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा में कांग्रेसी नेता गुलाम नबीं आजाद से देश से माफी मांगने के लिए कहा है। इस बीच जोरदार हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को दूसरी बार 12.00 बजे तक स्थगित कर दिया गया है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को नोटबंदी के बाद मरने वाले लोगों की संख्या की तुलना उरी हमले में मारे गये लोगों से की तो सदन में हंगामा शुरू हो गया था। जिसके कारण सदन की कार्रवाई को पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा थी।

सरकार के शीर्ष मंत्रियों ने कांग्रेस पर करारा हमला बोला और अरण जेटली ने इस बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया था और वेंकैया नायडू ने इसे राष्ट्रविरोधी बताते हुए माफी मांगे जाने की मांग की थी। उच्च सदन में आजाद ने कहा कि सरकार द्वारा 500 और 1,000 रपये के नोटों को चलन से बाहर करने के बाद इस मसले के कारण 40 लोगों की मौत हुई है जबकि पाकिस्तानी आतंकवादियों के उरी हमले में मारे जाने वाले लोगों की संख्या उससे कहीं कम थी।



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