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एक नए अध्ययन में पाया गया है कि सेक्सी फिल्में देखने वाले बच्चे, ऐसी फिल्में नहीं देखने वाले बच्चों की तुलना में न केवल जल्दी अपना कौमार्य खोते हैं, अर्थात ऐसे बच्चे पहला सेक्स अनुभव अथवा पहला यौन संबंध जल्दी स्थापित करते हैं, बल्कि सेक्सी फिल्में देखने वाले बच्चों द्वारा असुरक्षित यौन संबंध बनाए जाने की संभावना भी ज़्यादा होती है।
समाचारपत्र ‘डेली मेल’ की एक ख़बर के अनुसार, छह साल तक चले इस अध्ययन में 1,200 से भी ज़्यादा बच्चों पर फिल्मों में दिखाए जाने वाले सेक्स दृश्यों के असर की पड़ताल की गई। अमेरिका के दार्थमाउथ कॉलेज और आईवी लीग यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने वर्ष 1998 से लेकर वर्ष 2004 तक की 684 फिल्मों का सर्वे किया और उनमें दिखाए गए सेक्स दृश्यों के आधार पर उनका वर्गीकरण किया। ‘आइज़ वाइड शट’ जैसी फिल्मों को ‘अधिक सेक्स दृश्य’ वाली श्रेणी में रखा गया, जबकि ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स : द रिटर्न ऑफ द किंग’ को ‘कम सेक्स दृश्य’ वाली श्रेणी में रखा गया था।
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लंदन: सेक्स दृश्यों से भरपूर फिल्में देखने वाले बच्चों के यौन-स्वच्छंद होने और सेक्सुअली एक्टिव होने की संभावना ज़्यादा होती है।
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एक नए अध्ययन में पाया गया है कि सेक्सी फिल्में देखने वाले बच्चे, ऐसी फिल्में नहीं देखने वाले बच्चों की तुलना में न केवल जल्दी अपना कौमार्य खोते हैं, अर्थात ऐसे बच्चे पहला सेक्स अनुभव अथवा पहला यौन संबंध जल्दी स्थापित करते हैं, बल्कि सेक्सी फिल्में देखने वाले बच्चों द्वारा असुरक्षित यौन संबंध बनाए जाने की संभावना भी ज़्यादा होती है।
समाचारपत्र ‘डेली मेल’ की एक ख़बर के अनुसार, छह साल तक चले इस अध्ययन में 1,200 से भी ज़्यादा बच्चों पर फिल्मों में दिखाए जाने वाले सेक्स दृश्यों के असर की पड़ताल की गई। अमेरिका के दार्थमाउथ कॉलेज और आईवी लीग यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने वर्ष 1998 से लेकर वर्ष 2004 तक की 684 फिल्मों का सर्वे किया और उनमें दिखाए गए सेक्स दृश्यों के आधार पर उनका वर्गीकरण किया। ‘आइज़ वाइड शट’ जैसी फिल्मों को ‘अधिक सेक्स दृश्य’ वाली श्रेणी में रखा गया, जबकि ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स : द रिटर्न ऑफ द किंग’ को ‘कम सेक्स दृश्य’ वाली श्रेणी में रखा गया था।
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