IIT कानपुर में Ph.D छात्र की मौत: कैंपस के चौराहे पर छात्रों ने मचाया हंगामा

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कानपुर. IIT कानपुर में पीएचडी कर रहे छात्र आलोक कुमार पांडेय की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। गुस्साए छात्रों ने मंगलवार रात 9 बजे से बुधवार सुबह 5 बजे तक आईआईटी के डायरेक्टर इन्द्रनील मन्नान को बंधक बनाकर रखा। छात्रों का कहना है कि यदि‍ मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज करेंगे। नई स्‍ट्रैटेजी पर बात चल रही है। ये है छात्रों की मांग...
- देर शाम करीब साढ़े 8 बजे छात्रों के बीच बात करने आए मगर माइक ठीक नहीं होने की वजह से छात्र भड़क गए।
- इसके बाद करीब सवा नौ बजे डायरेक्टर ने छात्रों से बात करना शुरू किया।
- उनकी मांग के मुताबिक, मृतक छात्र के परिजनों को आर्थिक मदद इंस्टीट्यूट दे।
- जबतक जांच पूरी नहीं हो आरोपी डॉक्टर शैलेन्द्र को निलंबित किया जाए।
- तीसरी मांग के मुताबिक, छह महीने पहले जो कम्प्यूटर साइंस में प्रिंसिपल साइंटिस्ट के पद पर थे, उनकी भी मौत का कारण यही था जो मृतक पीएचडी छात्र आलोक की मौत की है। उसकी रिपोर्ट तत्काल उपलब्ध कराई जाए ।
- डायरेक्टर इंद्रनील मन्नान के मुताबिक, मृतक के परिजनों को इंस्टीट्यूट की तरफ़ से कोई -मुआवजा नहीं दिया जा सकता।
- इंस्टीट्यूट किसी भी कर्मचारी को बिना किसी ठोस रीजन के निलम्बित नहीं कर सकती है।
- इसके अलावा डायरेक्टर ने छात्रों से कहा कि छह महीने पहले हुए कम्प्यूटर प्रिंसिपल साइंटिस्ट्स के मौत की रिपोर्ट के लिए एक दिन का समय चाहिए।
- डायरेक्टर के एक कर्मचारी के मुताबिक आईआईटी कानपुर के इतिहास में ये पहला मौका है, जब छात्रों ने डायरेक्टर को कैम्पस के अंदर चौराहे पर बंधक बनाकर रखा है।
सोमवार को हुई थी छात्र की मौत...
आईआईटी कानपुर में पीएचडी कर रहे छात्र आलोक कुमार पांडेय की सोमवार को संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। इससे गुस्‍साए परिजनों ने आईआईटी कैंपस में मौजूद हेल्थ सेंटर के डॉक्टर, हॉस्‍पिटल प्रशासन, वार्डन इंचार्ज और प्रो. कमल केकर के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करवाया है। परिजनों का आरोप है कि आईआईटी हॉस्‍पिटल प्रशासन और डॉक्टर की लापरवाही की वजह से उनकी बेटे की मौत हुई है।
- मृतक छात्र आलोक कुमार पांडेय यूपी के गाजीपुर शहर स्‍थित तुलसी नगर कॉलोनी का रहने वाला था।
- वह आईआईटी कानपुर में मेटलर्जी साइंस से पीएचडी कर रहा था।
- आलोक के बड़े भाई आदर्श कुमार पांडेय के मुताबिक, सोमवार की शाम करीब 3 बजे आईआईटी कानपुर से उनके पास फोन आया।
- कहा गया कि आलोक की हालत सीरियस है। आप जल्‍द यहां पहुंचें।
- अभी कुछ सोच पाते कि 5 मिनट के अंदर ही दूसरा कॉल आया कि आलोक की डेथ हो गई।
- आलोक के दोस्तों ने बताया कि सुबह वो जब बैडमिंटन खेल रहा था, उसी समय उसके बाएं कंधे में दर्द हुआ।
- पहले तो आलोक ने यूं ही दर्द समझ कर बर्दाश्त कर लिया।
- दोपहर 2 बजे बाद अचानक उसे असहनीय दर्द होने लगा।
- इसके बाद दोस्‍त उसे लेकर आईआईटी कैम्पस में मौजूद हेल्थ सेंटर पहुंचेे।
- यहां मौजूद डॉ. शैलेन्द्र ने उसे एक इंजेक्शन दिया, लेकिन फायदा होने के बजाय उसकी तबियत और बिगड़ने लगी।
- उसका पल्स रेट गिरने लगा। इस इस पर डॉ. शैलेन्द्र ने उसके दोस्तों को पास के ही बिल्डिंग में ईसीजी कराने के लिए भेज दिया।
दोस्‍तों ने बताया- नहीं दिया गया स्‍ट्रेचर

- दोस्त ने बताया कि उनको स्ट्रेचर भी नहीं दिया गया और न ही कोई वार्ड ब्वॉय साथ में भेजा गया।
- आलोक चल नहीं पा रहा था, किसी तरह उसे पकड़कर ईसीजी कराने ले गए।
- ईसीजी करने के दौरान आलोक के दोस्तों को बाहर कर दि‍या गया।
- इसके बाद करीब आधे घंटे बाद बोला गया कि उसकी डेथ हो चुकी है इनके परिजनों को बुला लो।
पढ़ने में ब्रिलिएंट था आलोक
- बड़े भाई आदर्शन ने बताया कि आलोक बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज था।
- वह हाईस्कूल और इंटर गाजीपुर के आदर्श इंटर कॉलेज से किया था।
- इसके बाद उसने बीएससी (मैथ ग्रुप) से गाजीपुर के पीजी कॉलेज से किया।
- इसके बाद आलोक ने फिजिक्स से एमएससी जबलपुर के रानी दुर्गावती कॉलेज से किया।
- फिर बीआईटी मिश्रा रांची से इसने एमटेक फिजिक्स से किया।
आलोक ऑल इंडिया बेसिस पर चुना गया था पीएचडी के लिए
- साल 2010 में आलोक ने ऑल इंडिया बेसिस पर पीएचडी के लिए चूना गया।
- इसके बाद आलोक ने आईआईटी कानपुर में मेटलर्जी साइंस से पीएचडी में अपना नाम एनरोल करवा लिया।
- आलोक के भाई ने dainikbhaskar.com से बताया कि उनका भाई पढ़ने में तेज था।
- पापा स्वर्गीय कृपा शंकर पांडेय को इससे बहुत उम्मीद थी।
- साल 2008 में पिता का रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी।
- इसके बाद आलोक की पढ़ाई का पूरा भार बड़े भाई आदर्श ने अपने जिम्मे ले लिया।
पीएचडी का था आखिरी साल, प्रोफेसर करते थे परेशान
-आदर्श ने बताया कि उनके भाई के पीएचडी का ये आखिरी साल था। इसके वो रिसर्च करने करने की तैयारी कर रहा था।
- उन्‍होंने बताया कि उनका भाई आईआईटी कानपुर से पीएचडी जरूर कर रहा था, लेकिन वो यहां के प्रोफेसर से खुश नहीं था।
- दरअसल, आलोक प्रो. कमल केकर के अंडर में अपना पीएचडी कर रहा था।
- प्रो. केकर उसे बहुत परेशान करते थे, वो जब भी घर आता तो अपने प्रोफेसर के जुल्म की कहानी ही बताता था।
- केकर उसे जल्दी छुट्टी नहीं देते थे। त्योहार के समय में उसे अपने घर ले जाते और वहां काम करवाते थे।
- आलोक बताता था कि वो इसकी शिकायत किसी से कर भी नहीं सकता था।
- क्‍योंकि किसी प्रोफेसर के खिलाफ बोलने का मतलब अपना करियर ख़त्म करना था।
- इसलिए वो चुपचाप जल्द से जल्द अपना पीएचडी कर यहां से निकलना चाहता था।
आलोक के भाई ने डॉक्‍टरों पर लगाए ये आरोप
- आदर्श ने आरोप लगाया कि आईआईटी प्रशासन ने इनके भाई का सही से इलाज नहीं किया।
- उसे डॉक्‍टरों ने कौन सा इंजेक्शन लगाया, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
- आलोक की मृत्यु 2 बजकर 20 मिनट पर हो चुकी थी। ऐसे में 3 बजे फोन पर ये क्यों कहा गया कि आलोक की हालत सीरियस है।
- पुलिस को इस मौत की सूचना शाम 7 बजे क्यों दी गई। उसके हेड ऑफ डिपार्टमेंट केकर, डीन और डायरेक्टर परिजनों से क्यों मुलाक़ात नहीं की।
- यहां तक कि जिस डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने उसका इलाज किया, उन्होंने भी परिजनों से मुलाक़ात नहीं की।
- परिजनों के रात 12 बजे आईआईटी पहुंचते ही डेड बॉडी लेकर आईआईटी कैम्पस से जाने के लिए वार्डन ने कहा गया।
साजिश के तहत हत्‍या की आशंका
- मृतक आलोक के भाई को आशंका है कि उनकी भाई की साजिशन हत्‍या की गई है।
- ऐसे में आदर्श ने कानपुर के डीएम कौशल राज शर्मा से मिलकर पूरी बात बताई और भाई के मौत के कारण का पता लगाने की गुहार लगाई।
- उधर, डीएम ने भी पीड़ित परिजनों को इसकी सच्चाई पता कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।
- आदर्श ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से हो जल्द ही इसकी मांग उठाएंगे।
- उधर, अपने सहयोगी के मौत के बाद मंगलवार की सुबह आईआईटी कैम्पस में छात्रों ने आईआईटी प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
- सभी पीएचडी करने वाले छात्र कैम्पस के अंदर धरने पर बैठ गए।
- छात्र डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं।
 
 
 

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