हाईकोर्ट : अब होमेगॉर्डों को पुलिस सैलरी के समान ड्यूटी भत्ता पाने का हक

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इलाहाबाद.इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के होमगार्डों को पुलिस कांस्टेबल को मिलने वाले न्यूनतम वेतन के समान ड्यूटी भत्ता देने पर राज्य सरकार को तीन महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने गृहरक्षक होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने का आदेश दिया है।एक लाख 18 हजार होमगार्डों को मिलेगा बड़ा आर्थिक लाभ...
- कोर्ट ने होमगार्डों को रेग्‍युलर सैलरी देने की मांग खारिज कर दी है। साथ ही इन्हें नियमित नियुक्ति देने या सेवा नियमित करने की प्रार्थना भी अस्वीकार कर दी है।
- लेकिन, कहा है कि होमगार्डों की सेवा को देखते हुए रोज इतना भत्ता दिया जाए जो एक पुलिस कांस्टेबल के एक महीने की न्यूनतम सैलरी से कम न हो।
- कोर्ट के इस आदेश से प्रदेश में तैनात लगभग एक लाख 18 हजार होमगार्डों को बड़ा आर्थिक लाभ मिलेगा।
विशेषज्ञ कमेटी का हुआ था गठन
- यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय ने होमगार्ड रामनाथ गुप्ता और कई अन्य याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।
- याचिका पर वकील विजय गौतम ने बहस की। याचियों का कहना था कि होमगार्ड के रूप में वे वही काम कर रहे हैं, जो नियमित पुलिस कांस्टेबल करता है।
- इसलिए पुलिस के समान न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए।
- होमगार्डाें को मानदेय देने के बजाए नियमित वेतन का भुगतान किया जाए।
- श्री कृष्ण उर्फ केशव यादव केस में हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया।
- कमेटी को विचार करना था कि होमगार्डाें को पुलिस कांस्टेबल के समान वेतन क्यों न दिया जाए।
कमेटी ने कहा- नियमित पुलिस और होमगार्ड में कोई समानता नहीं
- 14 जनवरी 13 की बैठक में कमेटी ने होमगार्ड व पुलिस की ड्यूटी को समान नहीं माना।
- यूपी होमगार्ड अधिनियम 1963 के तहत इनकी सेवा ली जाती है।
- होमगार्ड नियमित पुलिस की कानून-व्यवस्था कायम रखने में मदद करते है। साथ ही जो विशेष अधिकार पुलिस को है वह होमगार्डाें को उपलब्ध नहीं है।
- होमगार्ड स्वैच्छिक बल है, जिन्हें वेतन नहीं दिया जाता। इसलिए ये राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं है और पुलिस के समान न्यूनतम वेतन पाने के हकदार नहीं है।
- होमगार्डाें को ड्यूटी भत्ता दिया जाता है, जो प्रतिदिन 225 रुपए है। प्रदेश में लगभग एक लाख 18 हजार होमगार्ड पुलिस की मदद करते हैं। कमेटी ने कहा कि नियमित पुलिस व होमगार्ड में कोई समानता नहीं है।
वर्क नेचर देखते हुए कोर्ट ने दिया निर्देश

- कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि होमगार्डाें का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्वैच्छिक नागरिक संगठन के स्थानीय सुरक्षा की दृष्टि से किया गया।
- 1946 में भारत में पहली बार बॉम्बे में होमगार्ड तैनात किए गए, जिन्हें साम्प्रदायिक दंगों के नियंत्रण के लिए पुलिस की मदद के लिए रखा गया।
- बाद में देश के अन्य राज्यों में रखा गया। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के होमगार्ड हिमांचल प्रदेश से भिन्न नहीं है। हालांकि, अधिनियम की धारा 10 के तहत होमगार्ड लोक सेवक है।
- इसका मतलब ये नहीं है कि होमगार्ड सिविल पद धारण करते है।
- कोर्ट ने कहा कि होमगार्ड संगठन एवं इनके काम की प्रकृति को देखते हुए इन्हें न्यूनतम वेतन के समान भत्ते का भुगतान पाने का हक है।
- कोर्ट ने विशेषज्ञ कमेटी के निष्कर्षाें को सुप्रीम कोर्ट के गृह रक्षक होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन केस के फैसले के विपरीत माना है।
 
 

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