सीएम की पत्नी का क्लासमेट बताकर करता था ये काम

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बांदा. खुद को अखिलेश यादव की पत्नी का क्लासमेट बताकर ठगी करने वाले विकलांग युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसके पास से आधा दर्जन फर्जी नियुक्ति पत्र बरामद किए गए हैं। युवक ने बताया कि वह गर्लफ्रेंड की जरूरत को पूरा करने के लिए पार्ट टाइम के तौर पर ये काम करता था। नियुक्ति पत्र के समय मांगे 20 हजार रुपए...
- आरोपी सुधांशु विजय उरई के राजेंद्रनगर का रहने वाला है। उसके पास ग्रेजुएशन और एमबीए की डिग्री है।
- आरोप है कि दोनों पैरों से विकलांग सुधांशु ने शहर के कई बेरोजगार युवक-युवतियों को बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में सुपरवाइजर बनाने के लिए अपना शिकार बनाया।
- इसमें आरोपी ने नियुक्ति पत्र के समय 20 हजार रुपए और ट्रेनिंग के बाद 2 लाख रुपए देने के लिए तय किया।
- आरोपी ने शमा, शाहिस्ता और मोइनुल खान से 20 हजार रुपए लिए और उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र थमाकर फरार हो गया।
- पत्र देखकर मोइनुल को शक हुआ। उसने इस संबंध में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में संपर्क किया।
- उन्हें बताया गया कि ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। इसके बाद सीडीपीओ अर्जुन सिंह और ठगी के शिकार लोगों ने विभागीय कर्मियों के साथ आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
सीडीपीअो बताकर किया नौकरी लगवाने का दावा
- पीड़ित मोइनुल और शाहिस्ता ने बताया कि सुधांशु उनकी मौसी से महोबा में मिला था।
- खुद को सीडीपीओ बताकर उनके बच्चों की नौकरी लगवाने का दावा किया।
- उसने उनसे 20 हजार रुपए लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया।
- इस बारे में सीडीपीओ अर्जुन सिंह ने बताया कि आरोपी का विभाग से कोई संबंध नहीं है।
- पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है।
- आरोपी के पिता संतराम रिटायर्ड टीचर हैं और सुधांशु के सारे भाई शिक्षित हैं।
क्‍या कहना है आरोपी का?
- आरोपी सुधांशु का कहना है कि कानपुर में रह रही अपनी गर्लफ्रेंड की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे ऐसे काम करने पड़ते थे।
- वह खुद को सीएम की पत्नी का क्लासमेट बताकर ये काम करता था, जिससे लोग उसकी बात पर यकीन कर लेते थे।
- सुधांशु के मुताबिक, उसने कई शहरों में अपना जाल फैला रखा था। साथ ही एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी करता था।
 
 

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