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जम्मू: मौत के सन्नाटे में डूबे शहर में मोबाइल टावर पर तिरंगा फहराया जाना असाधारण घटना क्यों है ? मोबाइल टावर पर तिरंगा किसने और क्यों लगाया है ?संवेदनशील त्राल में तिरंगा लहराने की जरूरत क्यों पड़ी ?
बात 14 अगस्त की है। जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस होता है। कश्मीर घाटी में त्राल के मोबाइल टॉवर पर किसी ने पाकिस्तान का झंडा फहरा कर भारत को चुनौती दी। ये वही त्राल है जहां आतंकी बुरहान वानी के जनाजे में इतने लोग उमड़े थे। हर तरफ भारत विरोधी नारे थे। सुरक्षाबलों पर हमले हो रहे थे। ये वही त्राल है जहां के जंगलों में आतंकी बुरहान वानी के वीडियो आते थे। आज भी आतंकी बुरहान वानी की कब्र इस तिरंगे से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर है।
जैसे ही त्राल में तिरंगा झंडा दिखा। राष्ट्रीय राइफल्स के एक जवान को ये भारत माता का अपमान लगा। उसने अपने कमांडिंग ऑफिसर से शिकायत की। कमांडिग ऑफिसर ने जवान की भवनाओं का सम्मान करते हुए झंडे को उतारने का फैसला किया। पर ये काम आसान नहीं था। बुरहान वानी के समर्थकों से घिरे इस इलाके में पाकिस्तानी झंडा उतारना आतंकियों को खुली चुनौती थी। पर राष्ट्रीय राइफल्स ने देश की शान को अपनी जान से बड़ा माना। फैसला हुआ पाकिस्तानी झंडा उतार कर उसकी जगह तिरंगा फहरा कर करारा जवाब दिया जाएगा।
एक सैनिक जिसका नाम सुरक्षा कारणों से हम आपको नहीं बता रहे। अपने तिरंगे के लिए जान हथेली पर रखकर साठ मीटर ऊंचे टॉवर पर चढ़ गया। नीचे राष्ट्रीय राइफल्स के जवान चारों ओर बिखर गए। जमीन से ऊंची इमारतों तक जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। बुरहान वानी की मौत के बाद से त्राल में कर्फ्यू पहले से लगा था। सन्नाटे में डूबे शहर में कर्फ्यू के बावजूद ये काम बहुत जोखिम भरा था। पर ठान लिया तो कर दिया।
राष्ट्रीय राइफल्स के जवान ने पाकिस्तान का झंडा नोच लिया। उसे उतारा और फेंक दिया। भारत का तिरंगा लगाया और उसके सम्मान में खड़ा हो गया। जबकि उसे तिरंगा लगा कर फौरन उतरना था। आतंकियों के हमदर्द की जमीन के आसमान पर तिरंगा फहराने लगा।
सुरक्षा का जायजा लेने के लिए जो ड्रोन उड़ाया गया था। उसमें लगे कैमरे में ये देशभक्ति की भावना वीडियो के रुप में कैद हो गयी और आज देश इसे देख रहा है। 39 दिन से जल रहे कश्मीर में ये काम बहुत बड़ा है और इस सैनिक पर देश को गर्व है।
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जम्मू: मौत के सन्नाटे में डूबे शहर में मोबाइल टावर पर तिरंगा फहराया जाना असाधारण घटना क्यों है ? मोबाइल टावर पर तिरंगा किसने और क्यों लगाया है ?संवेदनशील त्राल में तिरंगा लहराने की जरूरत क्यों पड़ी ?
बात 14 अगस्त की है। जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस होता है। कश्मीर घाटी में त्राल के मोबाइल टॉवर पर किसी ने पाकिस्तान का झंडा फहरा कर भारत को चुनौती दी। ये वही त्राल है जहां आतंकी बुरहान वानी के जनाजे में इतने लोग उमड़े थे। हर तरफ भारत विरोधी नारे थे। सुरक्षाबलों पर हमले हो रहे थे। ये वही त्राल है जहां के जंगलों में आतंकी बुरहान वानी के वीडियो आते थे। आज भी आतंकी बुरहान वानी की कब्र इस तिरंगे से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर है।
जैसे ही त्राल में तिरंगा झंडा दिखा। राष्ट्रीय राइफल्स के एक जवान को ये भारत माता का अपमान लगा। उसने अपने कमांडिंग ऑफिसर से शिकायत की। कमांडिग ऑफिसर ने जवान की भवनाओं का सम्मान करते हुए झंडे को उतारने का फैसला किया। पर ये काम आसान नहीं था। बुरहान वानी के समर्थकों से घिरे इस इलाके में पाकिस्तानी झंडा उतारना आतंकियों को खुली चुनौती थी। पर राष्ट्रीय राइफल्स ने देश की शान को अपनी जान से बड़ा माना। फैसला हुआ पाकिस्तानी झंडा उतार कर उसकी जगह तिरंगा फहरा कर करारा जवाब दिया जाएगा।
एक सैनिक जिसका नाम सुरक्षा कारणों से हम आपको नहीं बता रहे। अपने तिरंगे के लिए जान हथेली पर रखकर साठ मीटर ऊंचे टॉवर पर चढ़ गया। नीचे राष्ट्रीय राइफल्स के जवान चारों ओर बिखर गए। जमीन से ऊंची इमारतों तक जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। बुरहान वानी की मौत के बाद से त्राल में कर्फ्यू पहले से लगा था। सन्नाटे में डूबे शहर में कर्फ्यू के बावजूद ये काम बहुत जोखिम भरा था। पर ठान लिया तो कर दिया।
राष्ट्रीय राइफल्स के जवान ने पाकिस्तान का झंडा नोच लिया। उसे उतारा और फेंक दिया। भारत का तिरंगा लगाया और उसके सम्मान में खड़ा हो गया। जबकि उसे तिरंगा लगा कर फौरन उतरना था। आतंकियों के हमदर्द की जमीन के आसमान पर तिरंगा फहराने लगा।
सुरक्षा का जायजा लेने के लिए जो ड्रोन उड़ाया गया था। उसमें लगे कैमरे में ये देशभक्ति की भावना वीडियो के रुप में कैद हो गयी और आज देश इसे देख रहा है। 39 दिन से जल रहे कश्मीर में ये काम बहुत बड़ा है और इस सैनिक पर देश को गर्व है।
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