आखिर एपीजे अब्दुल कलाम के आखिरी शब्द क्या थे, जानें

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नई दिल्ली : देश के पूर्व राष्ट्रपति, मिसाइल मैन को इस दुनिया से अलविदा कहे एक साल हो गए हैं। एक साल पहले कलाम के जाने से इस दुनिया ने वह हीरा गवांया है जिसकी कभी भरपाई नहीं की जा सकती।  कलाम ने अपने जीवन के आखिरी शब्दों से जाते-जाते एक आदर्श नागरिक के लिए सवाल छोड़ दिया है।  सवाल ये कि, इस दुनिया को इस धरती को कैसे जीने लायक बनाया जाय?
एपीजे अब्दुल कलाम को अंतिम समय में सहारा देने वाले सृजनपाल सिंह ने बताया कि अपने अंतिम क्षणों में एपीजे अब्दुल कलाम ने क्या कहा?
सृजनपाल सिंह के मुताबिक 27 जुलाई को ‘दोपहर तीन बजे हम दिल्ली से गुवाहाटी पहुंचे। वहां से कार से शिलांग के लिए निकले। ढाई घंटे लगे पहुंचने में। आमतौर पर कलाम कार में सो जाया करते थे। लेकिन इस बार बातें करते रहे कार में उन्होने संसद नहीं चलने को लेकर कहा, डेडलॉक कैसे खत्म किया जाय फिर बोले IIM में छात्रों से पूछूंगा। शिलांग में खाना खाकर हम आईआईएम पहुंचे। वे लेक्चर देने स्टेज पर गए। मैं पीछे ही खड़ा था। उन्होंने मुझसे पूछा- ऑल फिट? मैंने कहा- जी साहब दो शब्द ही बोले होंगे कि गिर पड़े। मैंने ही उन्हें बांहों में उठाया। उन्हें हॉस्पिटल ले आए पर बचा नहीं सके। उन्होंने आखिरी लाइन कही थी कि धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए।’
सृजनपाल सिंह ने लिखा, “साहब हमेशा कहते थे कि मैं टीचर के रूप में ही याद किया जाना चाहता हूं। और पढ़ाते-पढ़ाते ही दुनिया से अलविदा ले लिया।”
नहीं दे पाए IIM स्टूडेंट को ये असाइनमेंट
अपने जीवन के अंतिम दिन तक लगातार बिना थके काम करते रहने वाले डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने आईआईएम शिलांग के छात्रों को एक ‘सरप्राइज असाइनमेंट’ देने की योजना बनाई थी। इस असाइनमेंट में उन्होंने आईआईएम के छात्रों से ऐसे नए तरीके खोजने के लिए कहना था, जिनसे संसद में गतिरोध खत्म किया जा सके।
कलाम के अंतिम दिन भी उनके साथ रहे उनके करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह ने कहा कि दिल्ली से शिलांग जाते समय वे संसद में होने वाले गतिरोधों के बारे में चर्चा कर रहे थे।
कलाम के साथ दो पुस्तकों का सह-लेखन कर चुके सिंह ने शिलांग से पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘वह बेहद चिंतित थे और उन्होंने कहा था कि वे कई सरकारों के कार्यकाल देख चुके हैं लेकिन गतिरोध हर बार होता ही है।  उन्होंने मुझसे छात्रों के लिए ‘सरप्राइज असाइनमेंट’ के तहत एक प्रश्न तैयार करने के लिए कहा था जो उन्हें लेक्चर के अंत में दिया जाना था।’’ सिंह ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति चाहते थे कि छात्र तीन ऐसे नवोन्मेषी विचार लेकर आएं जिनकी मदद से संसद को ज्यादा उत्पादक और जीवंत बनाया जा सके।
आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र रहे सिंह ने कहा, ‘‘हमने संसद में गतिरोध के मुद्दे को हमारी अगली पुस्तक ‘एडवांटेज इंडिया’ में भी शामिल करने का फैसला किया था। यह पुस्तक सितंबर-अक्तूबर में जारी होगी। मैं उस पुस्तक के बाजार में आने से पहले ही इस काम को करूंगा।’’ कलाम की अंतिम इच्छा के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि कलाम हमेशा देश के एक अरब चेहरों पर अरबों मुस्कुराहटें देखना चाहते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘वह चाहते थे कि ग्रामीण भारत विकसित हो और वह युवा सशक्तीकरण के बारे में भी बात करते रहते थे। अब उनके विचार और भी ज्यादा जीवंत हैं क्योंकि जो व्यक्ति इनके साथ अग्रिम मोर्चे से नेतृत्व कर रहा था, अब वह हमारे बीच नहीं है.’’ अपने जीवन में ‘मिसाइल मैन’ को एकमात्र अफसोस इस बात का रहा कि वह अपने माता-पिता को उनके जीवनकाल के दौरान 24 घंटे बिजली जैसे सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाएं।
सिंह ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उनके जीवन में उन्हें एकमात्र अफसोस इसी बात का रहा।’’



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