परीक्षा में चेकिंग, लड़कियां बोलीं शर्म के मारे नीचे सिर कर 4 घंटे बिताए

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इंदौर :एमपी पीएससी की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2016 में एक बार फिर से कड़ी चेकिंग से परीक्षार्थियों को गुजरना पड़ा। चेकिंग के दौरान महिला परीक्षार्थियों को जिल्लत से गुजरना पड़ा। उनके दुपट्टे हटाकर खिड़की पर टांग दिए गए। कॉलर हटाकर गले के लॉकेट देखे गए। सबके सामने ऐसी चेकिंग से अधिकांश महिला परीक्षार्थी असहज नजर आईं। कुछ ने विरोध भी किया, लेकिन चेकिंग चलती रही। कुछ लड़कियों ने कहा शर्म के मारे सिर नीचे कर समय गुजारा। पढ़ें, लड़कियां बोलीं ये कैसी परीक्षा...

- एमपी पीएससी की परीक्षा सुबह से शाम तक दो सत्रों में हुई, अभ्यर्थियों को परीक्षा हॉल में सिर्फ रोल नंबर ले जाने दिया गया।
- 250 पदों के लिए दो लाख से ज्यादा आवेदन आए थे। इंदौर में 57 सेंटर पर परीक्षा हुई। प्रदेश में 80 फीसदी अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी।
- घड़ी, बेल्ट, पर्स, जूते, आभूषण नहीं ले जाने दिए। इस प्रकार की चेकिंग से कई अभ्यर्थी नाराज हुए।
- महिला परीक्षार्थियों के दुपट्टे कॉलेज गेट के पास रखवा दिए गए। उन्हें परीक्षा कक्ष में करीब 4 घंटे तक बगैर दुपट्टे के बैठना पड़ा।
- शासकीय स्कूल संयोगितागंज में बने सेंटर में अभ्यर्थियों के हाथ पर बंधे नाड़े तक कटवा दिए। इस पर परीक्षार्थियों ने परीक्षा में तैनात लोगों से बहस की।
- इस मामले में एक परीक्षार्थी ने पीएससी को इसकी शिकायत की है, उसका कहना है कि आयोग ने ऐसे कोई निर्देश जारी नहीं किए थे। यह धार्मिक आस्था का अपमान है।
- मामले में मप्र लोक सेवा आयोग के सचिव मनोहर दुबे ने कहा कि हाथ पर बंधे नाड़े को काटे जाने की शिकायत आई है।
- हमने तो सभी केंद्रों पर निर्देश दिया था कि हाथ पर नाड़ा आदि बंधा हो तो उसकी सूक्ष्म जांच की जाए। हो सकता है कि कहीं ज्यादा सख्ती की गई हो।
- गौरतलब है कि पूर्व में हुई एसएससी, पीएससी, पीएमटी आदि परीक्षाओं में कुछ लोगों द्वारा मिलीभगत से की गई धांधली के कारण लगभग सभी परीक्षाओं में सख्ती की जा रही है।


लड़कियां बोलीं... सिर नीचे कर 4 घंटे का समय निकाला


परीक्षा में लड़कियों के दुपट्टा हटाने जाने के निर्देश को परीक्षार्थी और प्रोफेसर दोनों ने गलत माना। छात्रा प्रियंका बोरसे, सरिता वर्मा, सुषमा श्रीवास्तव, शोभा खांडे, सोनू पाल, माया राठौर और दक्षा भालसे ने कहा परीक्षा से पहले जांच के नाम पर दुपट्टा हटाने से एकाग्रता भंग हुई। परीक्षा में भी मन नहीं लगा। परीक्षा कक्षों में पर्यवेक्षक पुरुष प्राध्यापक थे। शर्म के मारे नीचे सिर कर चार घंटे का समय निकाला। छात्राओं ने कहा परीक्षा से 30 मिनट पहले महिला प्राध्यापक द्वारा पूरी जांच करा लेते। इसके बाद दुपट्टा लेकर कक्ष में जाने देते।

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