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कहते हैं कि योगेश्वर श्रीकृष्ण पूरी दुनिया के लिए ईश्वर हैं, लेकिन बरसाना वासियों के लिए वे आज भी नंद के लाल हैं। श्रीकृष्ण की लीलाओं को करीब साढ़े पांच हजार वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन बरसाना के लोग आज भी उसी भाव और परंपरा में माखन चोर श्रीकृष्ण को प्रेम पगी गाली देते हैं। बरसाना की प्रसिद्ध लठामार होली को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु 16 मार्च को बरसाना पहुंचेंगे।
चंद्रकांता गोस्वामी ने बताया कि वह 43 वर्ष से लठामार होली खेली जा रही हैं। लाठी चलाने के लिए होली से चार पांच दिन पहले तैयारी की जाती है और नई हुरियारिनों को लाठी चलाने के गुड़ सिखाये जाते हैं। करीब 10 वर्ष से होली खेल रहीं नेहा गोस्वामी ने बताया कि होली के लिए वह काफी उत्साहित हैं। जब हुरियारों पर लाठी बरसाते हैं तो हम मन ही मन में राधा-कृष्ण का जाप करते रहते हैं।
बरसाना की एनआरआई बहू दीपा गोस्वामी ने बताया कि यह उनकी दूसरी होली है। बड़ा ही अच्छा लगता है विदेशी कल्चर से अलग ब्रज संस्कृति बड़ी निराली है। जिस भाव के साथ ब्रज में होली खेली जाती है ऐसा भाव और कहीं देखने को नहीं मिलता है। मैं बड़ी सौभग्यशाली हूं कि मेरी ससुराल बरसाना में है। -- Sponsored Links:-
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- अपने नए वस्त्र तैयार करने के साथ-साथ लाठी चलाने का अभ्यास भी कर रहीं हैं।
- एनआरआई बहुएं भी लठमार होली खेलेंगी, उनमें होली को लेकर काफी उत्साह है।
कहते हैं कि योगेश्वर श्रीकृष्ण पूरी दुनिया के लिए ईश्वर हैं, लेकिन बरसाना वासियों के लिए वे आज भी नंद के लाल हैं। श्रीकृष्ण की लीलाओं को करीब साढ़े पांच हजार वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन बरसाना के लोग आज भी उसी भाव और परंपरा में माखन चोर श्रीकृष्ण को प्रेम पगी गाली देते हैं। बरसाना की प्रसिद्ध लठामार होली को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु 16 मार्च को बरसाना पहुंचेंगे।
चंद्रकांता गोस्वामी ने बताया कि वह 43 वर्ष से लठामार होली खेली जा रही हैं। लाठी चलाने के लिए होली से चार पांच दिन पहले तैयारी की जाती है और नई हुरियारिनों को लाठी चलाने के गुड़ सिखाये जाते हैं। करीब 10 वर्ष से होली खेल रहीं नेहा गोस्वामी ने बताया कि होली के लिए वह काफी उत्साहित हैं। जब हुरियारों पर लाठी बरसाते हैं तो हम मन ही मन में राधा-कृष्ण का जाप करते रहते हैं।
बरसाना की एनआरआई बहू दीपा गोस्वामी ने बताया कि यह उनकी दूसरी होली है। बड़ा ही अच्छा लगता है विदेशी कल्चर से अलग ब्रज संस्कृति बड़ी निराली है। जिस भाव के साथ ब्रज में होली खेली जाती है ऐसा भाव और कहीं देखने को नहीं मिलता है। मैं बड़ी सौभग्यशाली हूं कि मेरी ससुराल बरसाना में है। -- Sponsored Links:-
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