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तमिलनाडु की अम्मा, एआईएडीएमके सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री जे जयललिता का सोमवार देर रात अपोलो हॉस्पिटल में दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया. एक तरफ अपोलो हॉस्पिटल और नई दिल्ली स्थित एम्स से डॉक्टरों का पैनल इस खबर को कन्फर्म करने की माथापच्ची में लगा था. दूसरी तरफ हॉस्पिटल से कुछ दूर एआईएडीएमके मुख्यालय पर पार्टी के शीर्ष नेता नए मुख्यमंत्री के तौर पर अम्मा के करीबी ओ पनीरसेल्वम को कमान देने पर राय-मशविरा कर रहे थे. रात 11.30 बजे मेडिकल बुलेटिन से अम्मा के निधन की खबर पुष्ट हुई.
कैसे बने मुख्यमंत्री?
अम्मा के निधन की घोषणा से आधे घंटे पहले 11 बजे पनीरसेल्वम अपोलो हॉस्पिटल से निकले और सीधे पार्टी मुख्यालय पहुंचे. उनके पहुंचते ही पार्टी प्रेसीडियम के चेयरमैन ई मधुसूथनन ने अम्मा के कैबिनेट का इस्तीफा बटोरा, पनीरसेल्वम को सर्वसम्मति के साथ मुख्यमंत्री नियुक्त किया और पूरे दलबल के साथ राजभवन पहुंच गए. रात 1.30 बजे राजभवन में पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. अम्मा कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले सभी 31 मंत्रियों को भी बतौर मुख्यमंत्री शपथ दिलाई गई.
क्यों बने मुख्यमंत्री?
पनीरसेल्वम तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए. इससे पहले 2001-02 और फिर 2014-15 में पनीरसेल्वम को तब मुख्यमंत्री बनाया गया था जब अदालत के फैसले से जयललिता को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. पनीरसेल्वम ने उम्मीद के मुताबिक कभी जयललिता के खींचे दायरे को पार करने की कोशिश नहीं की. कहा ये भी गया कि उनकी जयललिता भक्ति थी कि वह अपनी जेब में जयललिता की तस्वीर रखते थे, मंच पर भी जयललिता के लिए आंसू बहाते थे और कैबिनेट माटिंग में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जयललिता की तस्वीर रखकर अध्यक्षता करते थे.
ये भी हैं चाय बेचने वाले मुख्यमंत्री
पनीरसेल्वम के पिता ठीक नरेन्द्र मोदी के पिता कि तरह चाय की दुकान चलाते थे. जहां मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी अपने पिता के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय बेचकर परिवार चलाने में मदद करते थे वहीं पनीरसेल्वम भी अपने पिता की मदद उनकी चाय की दुकान पर काम करके करते थे. मोदी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने के बाद समय निकालकर स्कूल जाते थे और पनीरसेल्वम भी ऐसा ही करते थे.
पनीरसेल्वम के पिता पार्टी के फाउंडर एमजी रामचंद्रन के लिए काम करते थे. इस दौरान वह चाय की दुकान से समय निकालकर पार्टी और पार्टी प्रमुख रामचंद्रन के छोटे-मोटे काम किया करते थे. यह बात रामचंद्रन के भी संज्ञान में थी कि पनीरसेल्वम चाय की दुकान पर काम करने के साथ-साथ चेन्नई के एक कॉलेज से ग्रैजुएशन की पढ़ाई भी कर रहे थे. जयललिता से उनकी नजदीकी शशिकला के चलते हुई थी और एमजीआर के बाद सक्रिय राजनीति में मिले इस मौके को उन्होंने उनका बेहद खास बनकर भुना लिया.
सबसे बड़ी चुनौती
राज्य में मौजूदा एआईएडीएमके सरकार का अभी चार साल का कार्यकाल बचा है. इस चार के साल दौरान पनीरसेल्वन की सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखते हुए खुद को पार्टी के केन्द्र में रखना है. यह बात वह जानते हैं कि बीते चार दशकों से एआईएडीएमके पहले एमजी रामचंद्रन और फिर जयललिता के करिज्मा तले पनपी है. और मौजूदा समय में वह पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं.
इसके साथ ही उनकी अहम चुनौती राष्ट्रीय राजनीति में उस साख को बरकरार रखने की भी है जिसके लिए पहले एमजी रामचंद्रन और फिर जयललिता जाने जाते हैं. जयललिता के दौर में एआईएडीएम एक क्षेत्रीय पार्टी ही थी लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस और बीजेपी के लिए वह हमेशा अनसुलझी पहेली रहीं. राष्ट्रीय राजनीति में वह जब और जैसे चाहती गठबंधन में शामिल होती और छोड़ देतीं.-- Sponsored Links:-
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तमिलनाडु की अम्मा, एआईएडीएमके सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री जे जयललिता का सोमवार देर रात अपोलो हॉस्पिटल में दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया. एक तरफ अपोलो हॉस्पिटल और नई दिल्ली स्थित एम्स से डॉक्टरों का पैनल इस खबर को कन्फर्म करने की माथापच्ची में लगा था. दूसरी तरफ हॉस्पिटल से कुछ दूर एआईएडीएमके मुख्यालय पर पार्टी के शीर्ष नेता नए मुख्यमंत्री के तौर पर अम्मा के करीबी ओ पनीरसेल्वम को कमान देने पर राय-मशविरा कर रहे थे. रात 11.30 बजे मेडिकल बुलेटिन से अम्मा के निधन की खबर पुष्ट हुई.
कैसे बने मुख्यमंत्री?
अम्मा के निधन की घोषणा से आधे घंटे पहले 11 बजे पनीरसेल्वम अपोलो हॉस्पिटल से निकले और सीधे पार्टी मुख्यालय पहुंचे. उनके पहुंचते ही पार्टी प्रेसीडियम के चेयरमैन ई मधुसूथनन ने अम्मा के कैबिनेट का इस्तीफा बटोरा, पनीरसेल्वम को सर्वसम्मति के साथ मुख्यमंत्री नियुक्त किया और पूरे दलबल के साथ राजभवन पहुंच गए. रात 1.30 बजे राजभवन में पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. अम्मा कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले सभी 31 मंत्रियों को भी बतौर मुख्यमंत्री शपथ दिलाई गई.
क्यों बने मुख्यमंत्री?
पनीरसेल्वम तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए. इससे पहले 2001-02 और फिर 2014-15 में पनीरसेल्वम को तब मुख्यमंत्री बनाया गया था जब अदालत के फैसले से जयललिता को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. पनीरसेल्वम ने उम्मीद के मुताबिक कभी जयललिता के खींचे दायरे को पार करने की कोशिश नहीं की. कहा ये भी गया कि उनकी जयललिता भक्ति थी कि वह अपनी जेब में जयललिता की तस्वीर रखते थे, मंच पर भी जयललिता के लिए आंसू बहाते थे और कैबिनेट माटिंग में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जयललिता की तस्वीर रखकर अध्यक्षता करते थे.
ये भी हैं चाय बेचने वाले मुख्यमंत्री
पनीरसेल्वम के पिता ठीक नरेन्द्र मोदी के पिता कि तरह चाय की दुकान चलाते थे. जहां मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी अपने पिता के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय बेचकर परिवार चलाने में मदद करते थे वहीं पनीरसेल्वम भी अपने पिता की मदद उनकी चाय की दुकान पर काम करके करते थे. मोदी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने के बाद समय निकालकर स्कूल जाते थे और पनीरसेल्वम भी ऐसा ही करते थे.
पनीरसेल्वम के पिता पार्टी के फाउंडर एमजी रामचंद्रन के लिए काम करते थे. इस दौरान वह चाय की दुकान से समय निकालकर पार्टी और पार्टी प्रमुख रामचंद्रन के छोटे-मोटे काम किया करते थे. यह बात रामचंद्रन के भी संज्ञान में थी कि पनीरसेल्वम चाय की दुकान पर काम करने के साथ-साथ चेन्नई के एक कॉलेज से ग्रैजुएशन की पढ़ाई भी कर रहे थे. जयललिता से उनकी नजदीकी शशिकला के चलते हुई थी और एमजीआर के बाद सक्रिय राजनीति में मिले इस मौके को उन्होंने उनका बेहद खास बनकर भुना लिया.
सबसे बड़ी चुनौती
राज्य में मौजूदा एआईएडीएमके सरकार का अभी चार साल का कार्यकाल बचा है. इस चार के साल दौरान पनीरसेल्वन की सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखते हुए खुद को पार्टी के केन्द्र में रखना है. यह बात वह जानते हैं कि बीते चार दशकों से एआईएडीएमके पहले एमजी रामचंद्रन और फिर जयललिता के करिज्मा तले पनपी है. और मौजूदा समय में वह पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं.
इसके साथ ही उनकी अहम चुनौती राष्ट्रीय राजनीति में उस साख को बरकरार रखने की भी है जिसके लिए पहले एमजी रामचंद्रन और फिर जयललिता जाने जाते हैं. जयललिता के दौर में एआईएडीएम एक क्षेत्रीय पार्टी ही थी लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस और बीजेपी के लिए वह हमेशा अनसुलझी पहेली रहीं. राष्ट्रीय राजनीति में वह जब और जैसे चाहती गठबंधन में शामिल होती और छोड़ देतीं.-- Sponsored Links:-
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