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अब कांग्रेस के लिये पुराने चेहरे यथावत रहेंगे कुछ नए चेहरे और जुड़ सकेंगे।
ज़िलों की अधूरी पढ़ी कार्यकारिणी और ज़िला अध्यक्षो की नियुक्तियां शीघ्र कर पार्टी में असमंजस के हालात खत्म करने के हाईकमान से भी ऊपर बैठे महाहाईकमान के सख्त निर्देश।
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प्रदेश के कई दिग्गज और ज़मीन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हाल में कोंग्रेस के मूलस्वरूप को बदल कर ज़मीनी कार्यकर्ताओ और भाजपा ,राजपा से टकराकर चुनावी जंग लड़ने वाले लोगो ने बोरी भर कर महाहाईकमांन को पत्र लिखकर चेताया था।
चुनाव में कोंग्रेस को हराने वाले नेताओ को अगर कोंग्रेस में शामिल कर पार्टी पदाधिकारी बनाकर समर्पित कार्यकर्ताओ के सर पर बैठाया गया तो ईसके परिणाम गम्भीर होंगे?
इसीलिए पूर्व केन्द्रियः मंत्री भाजपा नेताओ के पार्टी में शामिल कार्यक्रम से महाहाईकमान ने दूरी बना ली।
अब महाहाईकमांन के निजी जासूसों की राजस्थान के पलटवार राजनीति कोंग्रेस की गुटबाज़ी ,,एक दूसरे के खिलाफ बग़ावत के तेवर।
संगठन में बैठे बढे पदाधिकारियो की निष्क्रियता जिलास्तर पर कार्यकर्ताओ के सम्मान की उपेक्षा नीति कोंग्रेस के परम्परागत वोटर्स अल्पसंख्यक दलित वगैरा के प्रतिनिधित्व सहित उनकी समस्याओ को ज़िले और प्रदेश स्तर पर नहीं उठाने की गम्भीरता पर ,,पल पल की रिपोर्ट महाहाईकमांन के पास पहुंचेगी ।
क्योंकि राजस्थान ही एक मात्र ऐसा राज्य है जहां वर्तमान हालातो में भाजपा की कुनीतियों की वजह से राजस्थान की नब्बे फीसदी जनता भाजपा से नाराज़ है।
लेकिन इस नाराज़गी को पूरी की पूरी वर्तमान कोंग्रेस की नीतियों के कारण कोंग्रेस के पक्ष में समेटी नहीं जा सकी है।
वर्तमान में सर्वे के मुताबिक़ भाजपा से तो नब्बे फीसदी वोटर नाराज़ है।
लेकिन इन नाराज़ वोटर्स में से बीस फीसदी ही कोंग्रेस के साथ जुड़ने में कामयब हुए है ।
वजह तीन साल गुज़रने पर भी ज़िला अध्यक्षो की नियुक्ति नहीं हो पाना, जिलाकार्यकारिणियो का गठन नहीं हो पाना, संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से मज़बूत नहीं होना ,प्रदेश कोंग्रेस कमेटी के सदस्यो की नियुक्ति नहीं होना ,ब्लॉक अध्यक्षो की नियुक्ति नहीं होना ,ऐसे कई कारण है।
जिससे कोंग्रेस में कमज़ोरी का सन्देश जा रहा है!
सचिन पायलट के नेतृत्व में कोंग्रेस के कई कार्यक्रम हुए है जबकि अल्पसंख्यको का सचिन पायलट के नेतृत्व में एक कार्यक्रम भी प्लान नहीं किया गया है ।
इसका भी गलत सन्देश जा रहा है ,सचिन पायलट ने वर्तमान हालातो से निपट ने के लिए प्रभारियों को बदला भी है ।
अशोक गहलोत के गुट के नज़दीकी मुमताज़ मसीह को प्रभारियों का प्रभारी बनाकर ,हम सब साथ साथ है का सन्देश दिया है।
उन्होंने राजस्थान के हर ज़िले के सर्वाधिक कामयाब दौरे किये है ।
पूर्व मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत को हर जगह हर मुक़ाम पर महत्वपूर्ण सम्मान दिया है ।
ज़िलों में उनके दौरे के वक़्त कार्यकर्ताओ की भीड़ में उनका क्रेज रहा है ।
पहले कार से उत्तर कर कार्यकर्ताओ की माला साफा नहीं पहनने की उनकी जो शिकायते थी ,उन्हें भी वोह दूर करने की कोशिश कर रहे है ।
जबकि ज़िला कार्यकारिणियों के गठन के बाद जो असन्तोष हुआ है उसे भी वोह कुछ नाम शामिल करवाकर कोंग्रेस को निर्गुट एकजुट करने के पक्ष में काम कर रहे है ?
,सचिन पायलट ने सोशल मिडिया प्रकोष्ठ सहित कई महत्वपूर्ण प्रकोष्ठो का गठन कर कार्यकर्ताओ को एजस्ट करने के साथ कोंग्रेस के कार्यक्रमो को गति देने की कोशिश शुरू की है?
अल्पसंख्यक समाज के कुछ ज़िम्मेदार लोग भी सचिन पायलट ने अपनी निजी बैठके आयोजित कर फीडबेक लिया है ।
लेकिन अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमेन और पदाधिकारियो के साथ अगर वोह प्रदेश के अल्पसंख्यक पदाधिकारियो ज़िला पदाधिकारियो ,,समभाग पदाधिकारियो के साथ अगर जल्द ही एक बैठक आयोजित कर भ्रांतियां दूर करे तो निश्चित कोंग्रेस के एकतरफा जीत में कोई कसर नहीं रहेगी ।
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ज़िलों की अधूरी पढ़ी कार्यकारिणी और ज़िला अध्यक्षो की नियुक्तियां शीघ्र कर पार्टी में असमंजस के हालात खत्म करने के हाईकमान से भी ऊपर बैठे महाहाईकमान के सख्त निर्देश।
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प्रदेश के कई दिग्गज और ज़मीन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हाल में कोंग्रेस के मूलस्वरूप को बदल कर ज़मीनी कार्यकर्ताओ और भाजपा ,राजपा से टकराकर चुनावी जंग लड़ने वाले लोगो ने बोरी भर कर महाहाईकमांन को पत्र लिखकर चेताया था।
चुनाव में कोंग्रेस को हराने वाले नेताओ को अगर कोंग्रेस में शामिल कर पार्टी पदाधिकारी बनाकर समर्पित कार्यकर्ताओ के सर पर बैठाया गया तो ईसके परिणाम गम्भीर होंगे?
इसीलिए पूर्व केन्द्रियः मंत्री भाजपा नेताओ के पार्टी में शामिल कार्यक्रम से महाहाईकमान ने दूरी बना ली।
अब महाहाईकमांन के निजी जासूसों की राजस्थान के पलटवार राजनीति कोंग्रेस की गुटबाज़ी ,,एक दूसरे के खिलाफ बग़ावत के तेवर।
संगठन में बैठे बढे पदाधिकारियो की निष्क्रियता जिलास्तर पर कार्यकर्ताओ के सम्मान की उपेक्षा नीति कोंग्रेस के परम्परागत वोटर्स अल्पसंख्यक दलित वगैरा के प्रतिनिधित्व सहित उनकी समस्याओ को ज़िले और प्रदेश स्तर पर नहीं उठाने की गम्भीरता पर ,,पल पल की रिपोर्ट महाहाईकमांन के पास पहुंचेगी ।
क्योंकि राजस्थान ही एक मात्र ऐसा राज्य है जहां वर्तमान हालातो में भाजपा की कुनीतियों की वजह से राजस्थान की नब्बे फीसदी जनता भाजपा से नाराज़ है।
लेकिन इस नाराज़गी को पूरी की पूरी वर्तमान कोंग्रेस की नीतियों के कारण कोंग्रेस के पक्ष में समेटी नहीं जा सकी है।
वर्तमान में सर्वे के मुताबिक़ भाजपा से तो नब्बे फीसदी वोटर नाराज़ है।
लेकिन इन नाराज़ वोटर्स में से बीस फीसदी ही कोंग्रेस के साथ जुड़ने में कामयब हुए है ।
वजह तीन साल गुज़रने पर भी ज़िला अध्यक्षो की नियुक्ति नहीं हो पाना, जिलाकार्यकारिणियो का गठन नहीं हो पाना, संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से मज़बूत नहीं होना ,प्रदेश कोंग्रेस कमेटी के सदस्यो की नियुक्ति नहीं होना ,ब्लॉक अध्यक्षो की नियुक्ति नहीं होना ,ऐसे कई कारण है।
जिससे कोंग्रेस में कमज़ोरी का सन्देश जा रहा है!
सचिन पायलट के नेतृत्व में कोंग्रेस के कई कार्यक्रम हुए है जबकि अल्पसंख्यको का सचिन पायलट के नेतृत्व में एक कार्यक्रम भी प्लान नहीं किया गया है ।
इसका भी गलत सन्देश जा रहा है ,सचिन पायलट ने वर्तमान हालातो से निपट ने के लिए प्रभारियों को बदला भी है ।
अशोक गहलोत के गुट के नज़दीकी मुमताज़ मसीह को प्रभारियों का प्रभारी बनाकर ,हम सब साथ साथ है का सन्देश दिया है।
उन्होंने राजस्थान के हर ज़िले के सर्वाधिक कामयाब दौरे किये है ।
पूर्व मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत को हर जगह हर मुक़ाम पर महत्वपूर्ण सम्मान दिया है ।
ज़िलों में उनके दौरे के वक़्त कार्यकर्ताओ की भीड़ में उनका क्रेज रहा है ।
पहले कार से उत्तर कर कार्यकर्ताओ की माला साफा नहीं पहनने की उनकी जो शिकायते थी ,उन्हें भी वोह दूर करने की कोशिश कर रहे है ।
जबकि ज़िला कार्यकारिणियों के गठन के बाद जो असन्तोष हुआ है उसे भी वोह कुछ नाम शामिल करवाकर कोंग्रेस को निर्गुट एकजुट करने के पक्ष में काम कर रहे है ?
,सचिन पायलट ने सोशल मिडिया प्रकोष्ठ सहित कई महत्वपूर्ण प्रकोष्ठो का गठन कर कार्यकर्ताओ को एजस्ट करने के साथ कोंग्रेस के कार्यक्रमो को गति देने की कोशिश शुरू की है?
अल्पसंख्यक समाज के कुछ ज़िम्मेदार लोग भी सचिन पायलट ने अपनी निजी बैठके आयोजित कर फीडबेक लिया है ।
लेकिन अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमेन और पदाधिकारियो के साथ अगर वोह प्रदेश के अल्पसंख्यक पदाधिकारियो ज़िला पदाधिकारियो ,,समभाग पदाधिकारियो के साथ अगर जल्द ही एक बैठक आयोजित कर भ्रांतियां दूर करे तो निश्चित कोंग्रेस के एकतरफा जीत में कोई कसर नहीं रहेगी ।
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