नई दिल्ली/देहरादून : उत्तराखंड सरकार विवाद पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं. ऐसे में उनके फैसलों की समीक्षा हो सकती है.
इससे पहले उच्च न्यायालय ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जर्नल तुषार मेहता से सवाल पूछा. कोर्ट ने पूछा कि आपके गोपनीय कागजों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट द्वारा राज्यपाल को लिखे ख़त में कहा गया था कि 27 विधायकों ने फ्लोर टेस्ट की मांग की थी जबकि 9 बागी विधायकों का नाम उसमें नहीं था.
इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा की 18 मार्च 2016 की रात 11:30 बजे अजय भट्ट ने 35 विधायकों के साथ राजभवन में राज्यपाल को पत्र देकर वित्त विधेयक गिरने का हवाला देकर हालातों से अवगत कराया था. उन्होंने ये भी कहा कि विधेयक गिरने के बावजूद स्पीकर द्वारा विधेयक को पास बताकर संविधान का मजाक उड़ाया गया था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की और कहा कि राष्ट्रपति राजा नहीं हैं. राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं. उनके फैसलों की भी कोर्ट समीक्षा कर सकता है. इस टिप्पणी के बाद गृहमंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि राष्ट्रपति को राजा नहीं बताने वाले नैनीताल होईकोर्ट की टिप्पणी को सरकार अनुचित मानती है.
आपको बता दें कि उत्तराखंड का विवाद ये है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है. ये फैसला राष्ट्रपति ने मोदी सरकार की सिफारिश पर लिया है. कांग्रेस ने इसको चुनौती दी है. सूत्रों से खबर ये है कि नैनीताल होईकोर्ट की टिप्पणी को सरकार ने अनुचित माना है. टिप्पणी को निरस्त कराने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. सरकार ऑर्डर देखने के बाद फैसला लेगी.
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