नई दिल्ली: दाल के बाद अब चीनी ने सरकार की नींदे उड़ा रखी हैं। चीनी की बढ़ती क़ीमत पर सरकार हरकत में आ गयी है। दाम बढ़ने से चिंतित मोदी सरकार ने ऐहतियातन क़दम उठाते हुए राज्यों को चीनी के भंडारण की सीमा तय करने की छूट दे दी है। यानी थोक कारोबारी एक तय सीमा में ही चीनी का स्टॉक रख सकते हैं।
सरकार का मानना है कि देश में जरूरत से ज्यादा चीनी मौजूद है और कीमतें जमाखोरी की वजह से बढ़ रही हैं और इसलिए ये फ़ैसला लिया गया है ताकि बढ़ती क़ीमत पर ब्रेक लगाया जा सके।
इस फैसले के बाद अब कोई भी थोक या ख़ुदरा व्यापारी राज्य की तरफ से तय की गई सीमा से ज़्यादा चीनी नहीं रख सकेगा।
आपको बता दे कि देश के विभिन्न हिस्सों में पिछले महीने 26 रूपये प्रति किलो मिलने वाली चीनी की कीमत इस समय 38 रुपये हो गयी है यानी चीनी के दाम में 11 रुपये का इजाफा हो गया है।
केरल के एरनाकुल में एक महीने में चीनी की कीमत 32 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 42 रुपये हो गई है। महाराष्ट्र के नासिक में पिछले महीने तक 32 रुपये प्रति किलो बिक रही चीनी 41 रुपये के भाव से बिक रही है। इसी प्रकार भोपाल में 34 रुपये प्रति किलो वाली चीनी एक महीने में 8 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 42 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रही है। वैसे कई शहरों में चीनी की क़ीमत में मामूली बढ़ोत्तरी ही दर्ज की गई है।
सरकार के मुताबिक 2015 -16 में चीनी का कुल उत्पादन 260 लाख टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष के शुरूआत में सरकार के पास पहले से ही 92 लाख टन चीनी उपलब्ध था।
2015-16 में देश में कुल 260 लाख टन चीनी के खपत होने का अनुमान है। जबकि 20 लाख टन निर्यात होने का अनुमान है। यानी उत्पादन वर्ष 2015-16 के अंत में खपत और निर्यात के बाद भी सरकार के पास क़रीब 72 लाख टन चीनी का स्टॉक रहेगा।
सरकार के सूत्रों का कहना है कि देश के अलग – अलग इलाक़ों ख़ासकर महाराष्ट्र के कुछ भागों में सूखे का फ़ायदा कुछ जमाखोर और कालाबाज़ारी उठा सकते हैं। ऐसे में चीनी की कालाबाज़ारी और जमाखोरी को रोकने के लिए सरकार कुछ और कदम भी उठा सकती है।
इस मामले में केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का कहना है कि देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है और इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
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