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अफ्रीकी देश सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में तैनात फ्रेंच और लोकल सैनिकों पर करीब 100 लड़कियों के सेक्शुअल एब्यूज का आरोप लगा है। तीन विक्टिम्स ने दावा किया है कि एक मिलिट्री कमांडर ने उन्हें जानवरों के साथ सेक्स करने के लिए भी मजबूर किया। सेक्शुअल एब्यूज के ये सभी मामले सन् 2014 के हैं, जो अब सामने आए हैं। यूनाइटेड नेशन ने मामले पर तुरंत कार्यवाही करने को कहा।
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अफ्रीकी देश सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में तैनात फ्रेंच और लोकल सैनिकों पर करीब 100 लड़कियों के सेक्शुअल एब्यूज का आरोप लगा है। तीन विक्टिम्स ने दावा किया है कि एक मिलिट्री कमांडर ने उन्हें जानवरों के साथ सेक्स करने के लिए भी मजबूर किया। सेक्शुअल एब्यूज के ये सभी मामले सन् 2014 के हैं, जो अब सामने आए हैं। यूनाइटेड नेशन ने मामले पर तुरंत कार्यवाही करने को कहा।
जानवरों से रेप कराने के बाद दिए पैसे...
यूएन पीककीपिंग मिशन MINUSCA (यूनाइटेड नेशन्स मल्टीडाइमेंशनल इंटीग्रेटेड स्टैबलाइजेशन मिशन इन सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक) के डेलिगेशन ने बीते शनिवार को कई विक्टिम्स से बातचीत की। विक्टिम्स ने यूएन शांति सेना और लोकल फोर्सेज के खिलाफ सेक्सुअल एब्यूज के आरोप लगाए हैं। इनमें फ्रांस के सैनिक भी शामिल हैं। इस इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया था, लेकिन लोकल सोर्सेज ने 'एड्स फ्री वर्ल्ड कैंपेन ग्रुप' को इसकी जानकारी दे दी। ग्रुप के स्पोक्सपर्सन ने बताया कि फ्रेंच आर्मी के एक कमांडर ने मिलिट्री कैम्प में चार लड़कियों को कपड़े उतारने पर मजबूर किया। उन्हें जबदस्ती कुत्ते के साथ सेक्स करने को कहा गया। ये बात किसी को न बताने की धमकी देकर उन्हें 575 रुपए (5,000 सेंट्रल अफ्रीकन फ्रैंक्स) दिए गए। एक विक्टिम के मुताबिक, इस घिनौनी घटना के बाद उन्हें अपनी कम्युनिटी में काफी बेइज्जत भी किया गया। उन्हें 'फ्रेंच आर्मी का कुत्ता' कहा गया। इनमें से एक विक्टिम की बीमारी से मौत हो चुकी है। इन विक्टिम्स की उम्र 12 से 16 साल तक हैं।यूएन सेक्रेटरी जनरल बान की मून ने इस खुलासे को शॉकिंग बताया है। उन्होंने कहा, "हमने लोगों की रक्षा के लिए सैनिक भेजे थे, न कि उनका शोषण करने के लिए।"
इससे पहले भी पिछले साल एक रिपोर्ट के अनुसार फ्रेंच सैनिकों पर खाने के बदले बच्चों का शोषण करने का आरोप लगा था।
क्रिश्चियन और मुस्लिम्स के बीच हिंसा भड़कने के बाद फ्रांस ने दिसंबर 2013 में यहां मिशन शुरू किया था।
मार्च 2013 में मुस्लिम समुदाय ने तत्कालीन प्रेसिडेंट फ्रैंकोइस बोजिज का तख्तापलट करने के लिए बलाका ग्रुप बनाया। धीरे धीरे इस समूह ने छोटे-छोटे कस्बों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इस समूह ने ईसाईयों के इलाके में लूटपाट, बलात्कार और हत्याएं जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
तख्तापलट तो हो गया, लेकिन इसके साथ वह भी शुरू हुआ जो किसी भी देश के लिए बदनामी के दाग से कम नहीं होता। ईसाई समुदाय ने भी खुद को बलाका विरोधी ग्रुप कहना शुरू कर दिया।
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इस साल फ्रांस हटा लेगा अपने सैनिक
इस साल के अंत तक फ्रांस सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक से अपनी सेना हटा लेगा। फ्रेंच डिफेंस मिनिस्टर जीने वेस ले रिएन ने इस बात की घोषणा है।क्रिश्चियन और मुस्लिम्स के बीच हिंसा भड़कने के बाद फ्रांस ने दिसंबर 2013 में यहां मिशन शुरू किया था।
क्यों लगी है यहाँ सेना ???
सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में 2012 से सिविल वॉर छिड़ी हुई है।ये लड़ाई सेलेका विद्रोहियों और सेना के बीच है।यहां की ज्यादातर आबादी ईसाई है। सूडान और चाड से लगी सीमा के पास उत्तर में मुस्लिम समुदाय के लोग भी रहते हैं।मार्च 2013 में मुस्लिम समुदाय ने तत्कालीन प्रेसिडेंट फ्रैंकोइस बोजिज का तख्तापलट करने के लिए बलाका ग्रुप बनाया। धीरे धीरे इस समूह ने छोटे-छोटे कस्बों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इस समूह ने ईसाईयों के इलाके में लूटपाट, बलात्कार और हत्याएं जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
तख्तापलट तो हो गया, लेकिन इसके साथ वह भी शुरू हुआ जो किसी भी देश के लिए बदनामी के दाग से कम नहीं होता। ईसाई समुदाय ने भी खुद को बलाका विरोधी ग्रुप कहना शुरू कर दिया।
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