चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने एक जीवित व्यक्ति को एक मामले में कथित रूप से मृत दिखाने को लेकर पुलिस को कड़ी फटकार लगायी है. अदालत ने इस संबंध में जांच के लिए महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी को नियुक्त किया है. अदालत ने कहा कि यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो पुलिस को कानूनी परिणाम भुगतने होंगे.
एक सैन्यकर्मी कृष्णन की आपराधिक विविध याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एम जयचंद्रन और न्यायमूर्ति एस नागमुत्थु की पीठ ने यह बात कही. कृष्णन ने आरोप लगाया कि धर्मपुरी जिले में पुलिस ने हत्या के एक मामले में आरोपी एवं उसके बड़े भाई गोविंदसामी की जगह उसका ‘मृत्यु प्रमाण पत्र’ प्राप्त किया जबकि वह वास्तव में जीवित है.
गोविंदसामी की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी. पुलिस ने आरोप पत्र में गोविंदसामी के बजाए कथित रूप से कृष्णन को आरोपी बताया. यह मामला चिन्नासामी की हत्या के जुड़ा है. चिन्नासामी की मौत के मामले में गिरफ्तार किए गए उसके भाई के तीन बेटों में गोविंदसामी भी शामिल था.
निचली अदालत ने इस मामले में दो भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी लेकिन कृष्णन को ‘मृत’ दिखाए जाने के कारण उसके खिलाफ सजा नहीं सुनाई गई. पीठ ने कहा कि इस मामले में पुलिस के दोषी पाए जाने पर उसे कानूनी परिणाम भुगतने होंगे और यदि कृष्णन के आरोप गलत पाए जाते हैं तो उसे भी कानूनी परिणाम झेलने होंगे.
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