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यहां हम जिनके बारे में बताने जा रहे हैं, उन्होंने एक अलग प्रवत्ति को जन्म दिया है। शिक्षा वह नहींं, जो सिर्फ किताब से ली गई हो। शिक्षा उस शैली का नाम है, जो इंसान अपनी खूबी, प्रतिभा को निखार कर सिद्ध करता है।
हलधर नाग, जो मुश्किल से तीसरी कक्षा तक भी नहीं पढ़े है, को वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं, उनपर पांच शोधार्थियों ने अपना PHD पूरा किया है।
66 वर्षीय हलधर नाग कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सादा लिबाज, सफेद धोती और बनियान पहने, नाग नंगे पैर ही रहते हैं।
हलधर नाग जो कुछ भी लिखते हैं, उसे याद करते हैं। आपको बस कविता का नाम या विषय बताने की ज़रूरत है। उन्हें अपने द्वारा लिखे एक-एक शब्द याद हैं। वह एक दिन में तीन से चार कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिनमें वह अपनी लिखी रचनाएं लोगों को सुनाते है। नाग कहते हैंः
“यह देखने में अच्छा लगता है कि युवा वर्ग कोसली भाषा में लिखी गई कविताओं में खासा दिलचस्पी रखता है।”-- Sponsored Links:-
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यहां हम जिनके बारे में बताने जा रहे हैं, उन्होंने एक अलग प्रवत्ति को जन्म दिया है। शिक्षा वह नहींं, जो सिर्फ किताब से ली गई हो। शिक्षा उस शैली का नाम है, जो इंसान अपनी खूबी, प्रतिभा को निखार कर सिद्ध करता है।
हलधर नाग, जो मुश्किल से तीसरी कक्षा तक भी नहीं पढ़े है, को वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं, उनपर पांच शोधार्थियों ने अपना PHD पूरा किया है।
66 वर्षीय हलधर नाग कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सादा लिबाज, सफेद धोती और बनियान पहने, नाग नंगे पैर ही रहते हैं।
हलधर नाग जो कुछ भी लिखते हैं, उसे याद करते हैं। आपको बस कविता का नाम या विषय बताने की ज़रूरत है। उन्हें अपने द्वारा लिखे एक-एक शब्द याद हैं। वह एक दिन में तीन से चार कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिनमें वह अपनी लिखी रचनाएं लोगों को सुनाते है। नाग कहते हैंः
“यह देखने में अच्छा लगता है कि युवा वर्ग कोसली भाषा में लिखी गई कविताओं में खासा दिलचस्पी रखता है।”-- Sponsored Links:-
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