नई
दिल्ली : विकास और विश्वास को कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए बेहद अहम
बताते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार रात उम्मीद जतायी कि घाटी के युवा
गुमराह नहीं होंगे।
घाटी में चल रही अशांति के बीच उन्होंने कश्मीर को
शांति और एकता के साथ आगे ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह
सुनिश्चित किया जाए कि यह असल मायने में धरती का स्वर्ग बना रहे।
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एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘(वर्तमान अशांति का) बीज आजादी के दौरान ही बोया गया। हर सरकार को इस समस्या का सामना करना है। यह कोई नई समस्या नहीं है बल्कि पुरानी है।’ उनसे पूछा गया था कि घाटी की समस्या का समाधान कैसे किया जाए।
मोदी ने कहा कि इस समस्या का हल ढूंढा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर को विकास और विश्वास की जरूरत है। देश के 125 करोड़ लोग विकास देने को तैयार हैं और विश्वास की कभी कमी नहीं रही।’ उन्होंने कहा कि विकास और विश्वास के आधार पर आगे बढ़ना है और वह इस मोर्चे पर विश्वास से भरे हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों और गांवों के कल्याण और युवकों के वास्ते रोजगार के लिए भी विकास जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने देश को आगे ले जाने के लिए शांति, एकता और सद्भाव की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में हर चीज को चुनाव और राजनीति से जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘यदि एक या सवा साल पहले निर्णय लिए जाते हैं तो उसे भी चुनाव से जोड़ दिया जाता है।’ उन्होंने सुपर राजनीतिक पंडितों पर प्रहार करते हुए कहा कि एसी वाले कमरों में बैठे से लोग राजनीति नहीं छोड़ सकते हैं और प्रिसक्रिप्शन करते रहे हैं।
मोदी ने यह भी कहा कि देश को दुर्भाग्य से लगातार चुनाव से दो-चार होना पड़ता है जिसकी वजह से हर चीज चुनाव से जोड़ दी जाती है। उन्होंने कहा, ‘हर फैसले को चुनाव के तराजू में तौला जाता है, यह समय लिए गए निर्णयों को चुनाव से अलग करने का है, जितना जल्दी हम ऐसा करेंगे, उतना ही बेहतर होगा। जब चुनाव होते हैं तो चुनाव घोषणापत्र होंगे। राजनीति को काम से अलग करने की जरूरत है।’
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