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करीब तीन महीने पहले जाटों के हिंसक आंदोलन में 30 लोगों की मौत के बाद जाट नेताओं ने कड़ी सुरक्षा के बीच एक बार फिर हरियाणा में अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया। फिलहाल यह प्रदर्शन छोटी-छोटी बैठकों तक सीमित है। पिछली बार जाटों के प्रदर्शन से निपटने में नाकाम रहने पर हरियाणा की भाजपा सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राम निवास ने बताया, राज्य में शांति रही और किसी हिस्से से किसी अनहोनी की खबर नहीं है। यातायात भी सामान्य रहा। प्रदर्शनकारियों ने न तो राजमार्ग और न ही रेल लाइन को जाम किया।
राम निवास ने बताया कि कई जिलों में जाट समुदाय के लोगों ने कोई प्रदर्शन नहीं किया। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे, उपायुक्तों को ज्ञापन सौंपे और फिर कुछ समय बाद धरने से उठ गए। राष्ट्रीय राजमार्गों और रेल पटरियों सहित पूरे हरियाणा में चौकसी बरतने के लिए केंद्र और राज्य के करीब 20,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। फरवरी में हुए हिंसक प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और रेल की पटरियों को कई दिनों तक जाम कर दिया था।
पिछली बार हिंसक प्रदर्शन के केंद्र रहे रोहतक जिले के जसिया गांव के जाट नेताओं ने हवन कर आरक्षण आंदोलन के दूसरे दौर की शुरूआत की। कुछ प्रभावशाली खाप पंचायतों और जाट गुटों ने प्रदर्शन से खुद को दूर कर लिया है। प्रदर्शन का आहवान करने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) ने जसिया के ठीक बाहर रोहतक-पानीपत राजमार्ग पर एक टेंट लगा दिया और 21 में से 15 जिलों और दिल्ली में धरना भी दिया ताकि अपनी मांगों को लेकर समर्थन जुटा सके। एआईजेएएसएस के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। मलिक ने कहा कि एआईजेएएसएस दिल्ली सहित अन्य राज्यों में सांकेतिक धरना देगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आज शाम ऐसा एक प्रदर्शन किया गया।
मलिक ने कहा, हमने आज हरियाणा से शुरूआत की। हमने आज शाम दिल्ली में भी धरना दिया। इसके बाद हम दिल्ली के लिए दूसरी तारीखें तय करेंगे। मलिक ने कहा कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में सांकेतिक धरना दिया जाएगा। जाट प्रदर्शनकारी ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने, पिछले प्रदर्शन के दौरान समुदाय के सदस्यों पर दर्ज मामले वापस लिए जाने, मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने और उनके परिजन के लिए नौकरी और जख्मी हुए लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। इस बार का प्रदर्शन तथाकथित जाट बेल्ट तक सीमित है, जिसमें झज्जर, सोनीपत, रोहतक, पानीपत, हिसार, फतेहाबाद और जींद जैसे जिले शामिल हैं।
एक अधिकारी ने कहा, खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रदर्शनकारियों के छोटे-छोटे समूह हैं। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने जिले के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे। राज्य भर में प्रदर्शनकारियों की संख्या 2000 से ज्यादा नहीं रही होगी। इस बीच, दिल्ली पुलिस ने आज कहा कि जाट आंदोलन के सिलसिले में हरियाणा से सटे इलाकों और कुछ अन्य स्थानों पर कल निषेधाज्ञा लागू रहेगी। दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि हरियाणा की सीमा से सटे दिल्ली के जिलों और शहर के अन्य हिस्सों, जिसमें दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व दिल्ली शामिल हैं, में सीआरपीसी की धारा 144 लागू की जाएगी।
यमुनानगर, पंचकुला, फरीदाबाद, गुड़गांव, पलवल और सिरसा जैसी जगहों पर कोई धरना नहीं दिया गया। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) मुहम्मद अकील ने कहा, यह अब तक शांतिपूर्ण है। हम प्रदर्शन के दौरान किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं।
आठ जिलों में संवेदनशील जगहों पर निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च भी किया। प्रशासन पूरी चौकसी बरत रहा है जिससे पिछली बार जैसे हालात न बनें। पिछले प्रदर्शन में 30 लोग मारे गए थे, हजारों करोड़ रूपए की संपत्ति बर्बाद कर दी गई थी और प्रदर्शनकारियों ने अहम रास्तों को जाम कर रखा था। झज्जर में प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा और फरवरी के प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार हुए लोगों की रिहाई की मांग की।
अधिकारियों ने बताया कि हालात पर नजर रखने के लिए चंडीगढ़ में एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है जो चौबीसों घंटे सक्रिय रहेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर, मुख्य सचिव, गह सचिव, डीजीपी सहित वरिष्ठ अधिकारी हालात पर नजर रख रहे हैं। हरियाणा सरकार ने कहा कि वह जाटों के आरक्षण से जुड़े मामले से अदालत में निपट रही है और यदि किसी ने कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा, एक लोकतांत्रिक ढांचे में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वालों से सख्ती से कानून के मुताबिक निपटा जाएगा। राज्य के गृह सचिव ने भी चेताया कि कुछ असामाजिक तत्व माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं और लोगों से अपील की कि वे अफवाह फैलाने वालों के झांसे में न आएं।
हरियाणा के कषि मंत्री ओ पी धनकड़ ने कहा, धरने शांतिपूर्ण रहे हैं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी राय जाहिर करने का लोगों को अधिकार है, लेकिन यह कानून के दायरे में होना चाहिए। उन्होंने कहा, हमने उनकी मांग पूरी कर दी थी लेकिन इसे अदालत में चुनौती दी गई। राज्य सरकार जरूरी कदम उठा रही है। पिछले जाट आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने जाटों और पांच अन्य समुदायों को पिछड़ा वर्ग (सी) नाम की एक नई श्रेणी के तहत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया था।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हालांकि, एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इस कानून पर रोक लगा दी। इसके बाद जाट संगठनों ने फिर से आंदोलन की घोषणा की। एआईजेएएसएस की हिसार इकाई के अध्यक्ष रामभगत मलिक ने कहा, हम शांतिपूर्ण तरीके से धरना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पुलिस ने बताया कि हिसार में जाट समुदाय के लोगों ने मय्यर गांव के एक स्टेडियम में बेमियादी धरना की शुरूआत कर दी है। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए जाट नेताओं ने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया कि वह उन्हें आरक्षण देने की मांग पर गंभीर नहीं है।
जाट नेताओं ने कहा कि यदि सरकार ने सकारात्मक तौर पर उनकी मांगें पूरी नहीं की तो उनके पास सड़कों पर उतरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। जींद में भी एआईजेएएसएस के सदस्यों ने क्षंज कलां गांव में धरना दिया। पिछले प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को काबू न कर पाने पर आलोचना का सामना करने के बाद खट्टर सरकार ने प्रकाश सिंह समिति का गठन किया था जिसने प्रदर्शन के दौरान जानबूझकर लापरवाही बरतने के लिए 90 अधिकारियों को दोषारोपित किया था।
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करीब तीन महीने पहले जाटों के हिंसक आंदोलन में 30 लोगों की मौत के बाद जाट नेताओं ने कड़ी सुरक्षा के बीच एक बार फिर हरियाणा में अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया। फिलहाल यह प्रदर्शन छोटी-छोटी बैठकों तक सीमित है। पिछली बार जाटों के प्रदर्शन से निपटने में नाकाम रहने पर हरियाणा की भाजपा सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राम निवास ने बताया, राज्य में शांति रही और किसी हिस्से से किसी अनहोनी की खबर नहीं है। यातायात भी सामान्य रहा। प्रदर्शनकारियों ने न तो राजमार्ग और न ही रेल लाइन को जाम किया।
राम निवास ने बताया कि कई जिलों में जाट समुदाय के लोगों ने कोई प्रदर्शन नहीं किया। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे, उपायुक्तों को ज्ञापन सौंपे और फिर कुछ समय बाद धरने से उठ गए। राष्ट्रीय राजमार्गों और रेल पटरियों सहित पूरे हरियाणा में चौकसी बरतने के लिए केंद्र और राज्य के करीब 20,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। फरवरी में हुए हिंसक प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और रेल की पटरियों को कई दिनों तक जाम कर दिया था।
पिछली बार हिंसक प्रदर्शन के केंद्र रहे रोहतक जिले के जसिया गांव के जाट नेताओं ने हवन कर आरक्षण आंदोलन के दूसरे दौर की शुरूआत की। कुछ प्रभावशाली खाप पंचायतों और जाट गुटों ने प्रदर्शन से खुद को दूर कर लिया है। प्रदर्शन का आहवान करने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) ने जसिया के ठीक बाहर रोहतक-पानीपत राजमार्ग पर एक टेंट लगा दिया और 21 में से 15 जिलों और दिल्ली में धरना भी दिया ताकि अपनी मांगों को लेकर समर्थन जुटा सके। एआईजेएएसएस के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। मलिक ने कहा कि एआईजेएएसएस दिल्ली सहित अन्य राज्यों में सांकेतिक धरना देगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आज शाम ऐसा एक प्रदर्शन किया गया।
मलिक ने कहा, हमने आज हरियाणा से शुरूआत की। हमने आज शाम दिल्ली में भी धरना दिया। इसके बाद हम दिल्ली के लिए दूसरी तारीखें तय करेंगे। मलिक ने कहा कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में सांकेतिक धरना दिया जाएगा। जाट प्रदर्शनकारी ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने, पिछले प्रदर्शन के दौरान समुदाय के सदस्यों पर दर्ज मामले वापस लिए जाने, मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने और उनके परिजन के लिए नौकरी और जख्मी हुए लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। इस बार का प्रदर्शन तथाकथित जाट बेल्ट तक सीमित है, जिसमें झज्जर, सोनीपत, रोहतक, पानीपत, हिसार, फतेहाबाद और जींद जैसे जिले शामिल हैं।
एक अधिकारी ने कहा, खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रदर्शनकारियों के छोटे-छोटे समूह हैं। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने जिले के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे। राज्य भर में प्रदर्शनकारियों की संख्या 2000 से ज्यादा नहीं रही होगी। इस बीच, दिल्ली पुलिस ने आज कहा कि जाट आंदोलन के सिलसिले में हरियाणा से सटे इलाकों और कुछ अन्य स्थानों पर कल निषेधाज्ञा लागू रहेगी। दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि हरियाणा की सीमा से सटे दिल्ली के जिलों और शहर के अन्य हिस्सों, जिसमें दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व दिल्ली शामिल हैं, में सीआरपीसी की धारा 144 लागू की जाएगी।
यमुनानगर, पंचकुला, फरीदाबाद, गुड़गांव, पलवल और सिरसा जैसी जगहों पर कोई धरना नहीं दिया गया। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) मुहम्मद अकील ने कहा, यह अब तक शांतिपूर्ण है। हम प्रदर्शन के दौरान किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं।
आठ जिलों में संवेदनशील जगहों पर निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च भी किया। प्रशासन पूरी चौकसी बरत रहा है जिससे पिछली बार जैसे हालात न बनें। पिछले प्रदर्शन में 30 लोग मारे गए थे, हजारों करोड़ रूपए की संपत्ति बर्बाद कर दी गई थी और प्रदर्शनकारियों ने अहम रास्तों को जाम कर रखा था। झज्जर में प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा और फरवरी के प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार हुए लोगों की रिहाई की मांग की।
अधिकारियों ने बताया कि हालात पर नजर रखने के लिए चंडीगढ़ में एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है जो चौबीसों घंटे सक्रिय रहेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर, मुख्य सचिव, गह सचिव, डीजीपी सहित वरिष्ठ अधिकारी हालात पर नजर रख रहे हैं। हरियाणा सरकार ने कहा कि वह जाटों के आरक्षण से जुड़े मामले से अदालत में निपट रही है और यदि किसी ने कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा, एक लोकतांत्रिक ढांचे में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वालों से सख्ती से कानून के मुताबिक निपटा जाएगा। राज्य के गृह सचिव ने भी चेताया कि कुछ असामाजिक तत्व माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं और लोगों से अपील की कि वे अफवाह फैलाने वालों के झांसे में न आएं।
हरियाणा के कषि मंत्री ओ पी धनकड़ ने कहा, धरने शांतिपूर्ण रहे हैं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी राय जाहिर करने का लोगों को अधिकार है, लेकिन यह कानून के दायरे में होना चाहिए। उन्होंने कहा, हमने उनकी मांग पूरी कर दी थी लेकिन इसे अदालत में चुनौती दी गई। राज्य सरकार जरूरी कदम उठा रही है। पिछले जाट आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने जाटों और पांच अन्य समुदायों को पिछड़ा वर्ग (सी) नाम की एक नई श्रेणी के तहत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया था।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हालांकि, एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इस कानून पर रोक लगा दी। इसके बाद जाट संगठनों ने फिर से आंदोलन की घोषणा की। एआईजेएएसएस की हिसार इकाई के अध्यक्ष रामभगत मलिक ने कहा, हम शांतिपूर्ण तरीके से धरना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पुलिस ने बताया कि हिसार में जाट समुदाय के लोगों ने मय्यर गांव के एक स्टेडियम में बेमियादी धरना की शुरूआत कर दी है। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए जाट नेताओं ने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया कि वह उन्हें आरक्षण देने की मांग पर गंभीर नहीं है।
जाट नेताओं ने कहा कि यदि सरकार ने सकारात्मक तौर पर उनकी मांगें पूरी नहीं की तो उनके पास सड़कों पर उतरने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। जींद में भी एआईजेएएसएस के सदस्यों ने क्षंज कलां गांव में धरना दिया। पिछले प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को काबू न कर पाने पर आलोचना का सामना करने के बाद खट्टर सरकार ने प्रकाश सिंह समिति का गठन किया था जिसने प्रदर्शन के दौरान जानबूझकर लापरवाही बरतने के लिए 90 अधिकारियों को दोषारोपित किया था।
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