नई दिल्ली : पोस्टर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पीछे हाथी ‘दौड़ाने’ वाले बीएसपी नेता विनीत सिंह मुकदमों की झड़ी लग गई है। पर 5 करोड़ की रंगदारी मांगने का आरोप इनपर लगा है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर ने चंदौली जिले के सैयदराजा विधानसभा से बीएसपी के घोषित प्रत्याशी श्याम नारायण सिंह उर्फ़ विनीत सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
इस तस्वीर में उत्तर प्रदेश के मुख़्यमंत्री अखिलेश यादव भाग रहे है उनको एक हाथी दौड़ा रहा है। इसमें आगे-आगे मुख़्यमंत्री अखिलेश यादव हैं, पीछे हाथी की तस्वीर में ऊपर एक ओर बीएसपी की मुखिया मायावती की फ़ोटो और दूसरी ओर प्रत्याशी श्याम नारायण सिंह उर्फ़ विनीत सिंह की फ़ोटो लगी है।
इस फ़ोटो की चर्चा तेज़ होने पर फ़ोटो को सोशल मीडिया (फेसबुक) से हटा लिया गया। इस सन्दर्भ में जब बीएसपी के घोषित प्रत्याशी श्याम नारायण सिंह उर्फ़ विनीत सिंह से बात की गयी तो फोन लाईन पर ही नहीं आ रहे। कई बार फोन करने के बाद उनके लोगों ने बात करायी। श्याम नारायण सिंह उर्फ़ विनीत सिंह ने कहा कि यह विरोधियों की चाल है।
जंगल में आग की तरह फैली इस घटना को संज्ञान में लेते हुए वाराणसी के आईजी एस.के. भगत ने डीआईजी वाराणसी को जाँच करके रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। इस विषय में प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि कैमरे पर अभी नहीं बाद में बात होगी। इस बारे में राजनैतिक पार्टियों के लोगों ने भी इस तरह की चीजों को गलत बताया है।
वाराणसी के पिंडरा विधानसभा से कांग्रेस के विधायक अजय राय ने कहा की हर पार्टी एक दूसरे का विरोध करती है। लेकिन, यह तरीका सही नहीं है। इससे किसी के मर्यादा पर चोट पहुंचेगा इसलिए विरोध का दूसरा तरीका होना चाहिए। राय ने कहा की ऐसी बात करनी ही नहीं चाहिए अगर ऐसा काम किया गया है तो मीडिया के सामने आकर उसे जरूर फेस करना चाहिए।
वाराणसी में बीजेपी महानगर अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि ने कहा की कोई भी पद मर्यादा का प्रतिक होता है। किसी के मर्यादा का उलंघन नहीं होना चाहिए और राजनीती स्वच्छ तरीके से होना चाहिए। नेता मनोज राय ‘धूपचंडी’ ने कहा की कुछ लोगों द्वारा राजनीती के सबसे ख़राब दिनों के शुरुआत करने की कोशिश की जा रही है।
मनोज ने कहा की मुख्य्मंत्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता से घबराकर दूसरे राजनैतिक दलों के लोग इस तरह के काम कर रहे हैं। मनोज ने कहा की सभी दलों के नेताओं को कोशिश करनी चाहिए की इस तरह की चीजे ना हो क्योंकि भारतीय जनमानस में नेताओं की छवि पर सभी का ध्यान रहता है।
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