नई दिल्ली : अपनी साख पर लगी चोट से साहित्या अकादमी भी चिंता में है. उसके सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि साहित्यकारों में अपनी स्वीकार्यता को कैसे बनाए रखें. ऐसे में अकादमी एक बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है.
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18 अक्टूबर को आपके चैनल एबीपी न्यूज पर लाइव शो के दौरान मशहूर शायर मुनव्वर राना ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का एलान कर दिया था. एबीपी न्यूज ने मुनव्वर का वो सम्मान और एक लाख रुपये का चेक साहित्य अकादमी को भेज दिया. मुनव्वर जैसे 42 और साहित्यकार अवॉर्ड लौटा चुके हैं और वापस लेने को तैयार नहीं हैं.
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ त्रिपाठी का कहना है कि 17 दिसंबर को कार्यकारी समिति की बैठक में तय होगा, क्योंकि इस तरह की कोई समस्या पहले नहीं थी, इसलिए इसपर कोई पॉलिसी नहीं है. हमारी अपील है, पर 43 में से किसी साहित्यकार ने पुरस्कार वापस नहीं लिया है.
अकादमी सूत्रों का कहना है कि ये अकादमी किसी भी साहित्यकार का सम्मान वापस नहीं लेगी क्योंकि सम्मान जिस कृति को दिया गया उसका सम्मान कभी कम नहीं हो सकता और जहां तक वापस किए गए चेक का सवाल है तो तीन महीने तक रखे रखने के बाद सारे चेक अपने आप समाप्त हो जाएंगे. यानी चेक की राशि साहित्यकार के अकाउंट में ही रहेगी.
अकादमी भले साहित्यकारों से सम्मान की राशि नहीं लेना चाहती लेकिन पहला अवॉर्ड वापस करने वाले साहित्यकार उदय प्रकाश ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर अकादमी सम्मान की राशि वापस नहीं लेगी तो अपनी सम्मान राशि को किसी ऐसे संगठन को दे देंगे जो सहिष्णुता के लिए काम कर रही हो.
दरअसल अवॉर्ड वापसी की मुहिम के बाद सरकार और बीजेपी नेताओं की तरफ से जो बयान आए और माहौल बिगड़ा उस वजह से भी साहित्यकार अवॉर्ड वापस लेने को तैयार नहीं हैं. साहित्यकारों का विरोध लेखक एमएम कलबुर्गी, समाजसेवी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या, दादरी कांड और देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को लेकर है.
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