अपने परिवार से दूर रहने वाले हर पति की भावनाओं को समर्पित…

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रहता पड़ता है तुमसे दूर।
हर वक़्त चढ़ा रहता है तुम्हारी यादों का सुरूर।।
ऐसा चाहता नहीं मगर हूँ मजबूर।।
तुम्हे भी मेरी याद आती होगी जरूर।।
इसी बात का है मुझे गुरूर।-- --
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तुम भी हो रहती मेरी यादों में चूर।।
मोहब्बत को दिखाया या जताया नहीं जाता।
ये है एक एहसास जो कराया नहीं जाता।।
कितनी है तुमसे मोहब्बत मुझसे बताया नहीं जाता।
दूरी चाहे कितनी ही क्यूँ ना हो तुम्हे भुलाया नहीं जाता।।
दिल में बसे अरमानों को सुलाया नहीं जाता।
किसी काम में अब ध्यान भी लगाया नहीं जाता।।
अब नही रहना तुमसे विरक्त आ जाओ साथ।
जीवन भर चलो साथ….. डाल हाथों में हाथ।।
होते हैं इंद्रधनुष के रंग जितने नजदीक और साथ।
उसी तरह तुम भी रहो जीवन भर साथ।।
साथ कभी नहीं छोड़ेगा तुम्हारा प्राण नाथ।
चाहे मृत्यु से ही क्यूँ ना करना पड़े युद्ध…अब तो जीना है साथ और मरना भी है साथ।।





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