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'आपके' मोबाइल फोन के नंबर की बोली लगाई जा रही है और इसकी भनक तक नहीं है। जी हां ! इस काम को व्यवस्थित ढ़ंग से बड़े-बड़े गिरोह कर रहे हैं। आपके मोबाइल नंबरों को अलग-अलग कामों में इस्तेमाल भी किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसा ही गिरोह दबोचा है। इस गिरोह ने जो खुलासा किया है उससे पुलिस अधिकारियों के भी होश उड़े हुए हैं।
दरअसल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को 6 महीने पहले एक सूचना मिली थी। जिसमें पुलिस की पता चलता था कि जनकपुरी में एक डिटेक्टिव एंजेसी(जासूसी एजेंसी) गैर कानूनी तरीके से महज 5 हजार रुपये में किसी भी शख्स की CDR (कॉल डिटेल रिकार्ड) निकलवा सकती है। अब दिल्ली पुलिस की ये टीम नक़ली ग्राहक बनकर उस दफ्तर तक पहुंच गई। उसके बाद जब तमाम सबूतों के साथ स्क़ॉरिपियन डिडेक्टिव एजेंसी पर छापा मारा गया।
उसके मालिक पंकज तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी गिरफ्तारी के बाद एक के बाद एक परतें खुलने लगीं। क्राइम ब्रांच के मुताबिक इस रैकेट में शामिल सबसे बड़ा नाम बीएलएस स़ॉलुश्न मैनेजमेंट कंपनी का है। दिल्ली के बाराखंबा रोड स्थित इस कंपनी का बड़ा अधिकारी संजीव चौधरी और यहां का सीनियर सेल्स मैनैजर ही एक अन्य गिरफ्तार आऱोपी जयवीर से सीडीआर लेता था। बीएलएस, ग्रुप्स ऑफ कंपनी की एक चैन है। कंपनी एक बडी जाजूसी फर्म है। कंपनी मेट्रोमोनियल औऱ प्रापर्टी डिस्पयूट से जुड़े मामलें में डील करती है। कंपनी का करीब 500 करोड़ का टर्न ओवर भी है।
उसे अपने और अपनी कंपनी के फायदे के लिए अपने बड़े अधिकारियों को मुहैया कराता था। इस कहानी का सबसे अहम किरदार औऱ जासूसी रैकेट में सीडीआर निकलाने वाला शख्स है नरेन्द्र. जो यूपी पुलिस का ना केवल कांस्टेबल है वल्कि आईजी सर्विलांस कानपुर के दफ्तर में तैनात था। वह आईजी दफ्तर से गैरकानूनी तरीके से जयवीर के लिए सीडीआर निकालने का काम करता था। जयवीर को एक सीडीआर निकलवाने के लिए करीब 10 से 30 हजार रुपये मिलते थे। वहीं जयवीर नरेन्द्र को सीडीआर देने के एवज में 7 हजार रुपये देता था।
हालांकि पुलिस ने अब तक इस बात का खुलासा नहीं किया है कि रैकेट से जुड़े ये लोग किन-किन लोगों की सीडीआर निकलवाते थे। लेकिन सूत्रों से मुताबिक बीएलएस कंपनी क्लाइड के लिए गैर कानूनी तरीके से रैकेट की मदद से सीडीआऱ हासिल करता था। उसके बदले में कंपनी को एक सीडीआर से लाखों का फायदा पहुंचता था। क्राइम ब्रांच इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि कही ये रैकेट वीवीआईपी लोगों की भी सीडीआर तो नहीं निकलवा चुका है।
हाईलाइट्स : - अब तक करीब 2000 से ज्यादा सीडीआर ये रैकेट निकाल चुका है - पकड़ा गया एक आरोपी आदित्य, साल 2013 में अरुण जेटली जासूसी कांड में पकड़ा जा चुका है - कंपनी के चार बड़े अधिकारी फरार - इसी कंपनी में सीओओ के पद पर तैनात सीबीआई के पूर्व ज्वाइट डिरेक्टर की भूमिका भी संदेह के दायरे में - जल्द क्राइम ब्रांच उनसे पूछताछ कर सकती है।
क्या है सीडीआर - यानि आप के फोन की हर गतिविधी - आप किस से बात कर रहे है वो सारी जानकारी - आप के पास किन किन लोगों के फोन आ रहे थे वो भी - आप के एसएमएस और फोन की लोकेशन।
यह हैं आरोपी 1.नाम पकंज तिवारी- काम- स्क़ॉरिपियन डिडेक्टिव एजेसी पता—जनकपुरी दिल्ली 2.नाम- जयवीर राठौर काम अभी तक चैनल का मालिक, राठौर डिडेक्टिव एंजेसी पता- महिपालपुर 3.नाम--- संजीव चौधरी काम—सीनियर सेल्स मैनैजर बीएलएस मैनेजमेंट सॉलुशन कंपनी पता—बाराखंबा रोड़ इंद्रप्रकाश विल्डिग 4.नाम—आदित्य फ्री लांस जासूस औऱ अरुण जेटली जासूसी कांड का आऱोपी काम—जासूसी करना पता—दिल्ली 5. नाम- नरेन्द्रर काम- यूपी पुलिस का कांस्टेबल पता—कानपुर आईजी सविलॉस के दफ्तर में तैनात।
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'आपके' मोबाइल फोन के नंबर की बोली लगाई जा रही है और इसकी भनक तक नहीं है। जी हां ! इस काम को व्यवस्थित ढ़ंग से बड़े-बड़े गिरोह कर रहे हैं। आपके मोबाइल नंबरों को अलग-अलग कामों में इस्तेमाल भी किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसा ही गिरोह दबोचा है। इस गिरोह ने जो खुलासा किया है उससे पुलिस अधिकारियों के भी होश उड़े हुए हैं।
दरअसल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को 6 महीने पहले एक सूचना मिली थी। जिसमें पुलिस की पता चलता था कि जनकपुरी में एक डिटेक्टिव एंजेसी(जासूसी एजेंसी) गैर कानूनी तरीके से महज 5 हजार रुपये में किसी भी शख्स की CDR (कॉल डिटेल रिकार्ड) निकलवा सकती है। अब दिल्ली पुलिस की ये टीम नक़ली ग्राहक बनकर उस दफ्तर तक पहुंच गई। उसके बाद जब तमाम सबूतों के साथ स्क़ॉरिपियन डिडेक्टिव एजेंसी पर छापा मारा गया।
उसके मालिक पंकज तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी गिरफ्तारी के बाद एक के बाद एक परतें खुलने लगीं। क्राइम ब्रांच के मुताबिक इस रैकेट में शामिल सबसे बड़ा नाम बीएलएस स़ॉलुश्न मैनेजमेंट कंपनी का है। दिल्ली के बाराखंबा रोड स्थित इस कंपनी का बड़ा अधिकारी संजीव चौधरी और यहां का सीनियर सेल्स मैनैजर ही एक अन्य गिरफ्तार आऱोपी जयवीर से सीडीआर लेता था। बीएलएस, ग्रुप्स ऑफ कंपनी की एक चैन है। कंपनी एक बडी जाजूसी फर्म है। कंपनी मेट्रोमोनियल औऱ प्रापर्टी डिस्पयूट से जुड़े मामलें में डील करती है। कंपनी का करीब 500 करोड़ का टर्न ओवर भी है।
उसे अपने और अपनी कंपनी के फायदे के लिए अपने बड़े अधिकारियों को मुहैया कराता था। इस कहानी का सबसे अहम किरदार औऱ जासूसी रैकेट में सीडीआर निकलाने वाला शख्स है नरेन्द्र. जो यूपी पुलिस का ना केवल कांस्टेबल है वल्कि आईजी सर्विलांस कानपुर के दफ्तर में तैनात था। वह आईजी दफ्तर से गैरकानूनी तरीके से जयवीर के लिए सीडीआर निकालने का काम करता था। जयवीर को एक सीडीआर निकलवाने के लिए करीब 10 से 30 हजार रुपये मिलते थे। वहीं जयवीर नरेन्द्र को सीडीआर देने के एवज में 7 हजार रुपये देता था।
हालांकि पुलिस ने अब तक इस बात का खुलासा नहीं किया है कि रैकेट से जुड़े ये लोग किन-किन लोगों की सीडीआर निकलवाते थे। लेकिन सूत्रों से मुताबिक बीएलएस कंपनी क्लाइड के लिए गैर कानूनी तरीके से रैकेट की मदद से सीडीआऱ हासिल करता था। उसके बदले में कंपनी को एक सीडीआर से लाखों का फायदा पहुंचता था। क्राइम ब्रांच इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि कही ये रैकेट वीवीआईपी लोगों की भी सीडीआर तो नहीं निकलवा चुका है।
हाईलाइट्स : - अब तक करीब 2000 से ज्यादा सीडीआर ये रैकेट निकाल चुका है - पकड़ा गया एक आरोपी आदित्य, साल 2013 में अरुण जेटली जासूसी कांड में पकड़ा जा चुका है - कंपनी के चार बड़े अधिकारी फरार - इसी कंपनी में सीओओ के पद पर तैनात सीबीआई के पूर्व ज्वाइट डिरेक्टर की भूमिका भी संदेह के दायरे में - जल्द क्राइम ब्रांच उनसे पूछताछ कर सकती है।
क्या है सीडीआर - यानि आप के फोन की हर गतिविधी - आप किस से बात कर रहे है वो सारी जानकारी - आप के पास किन किन लोगों के फोन आ रहे थे वो भी - आप के एसएमएस और फोन की लोकेशन।
यह हैं आरोपी 1.नाम पकंज तिवारी- काम- स्क़ॉरिपियन डिडेक्टिव एजेसी पता—जनकपुरी दिल्ली 2.नाम- जयवीर राठौर काम अभी तक चैनल का मालिक, राठौर डिडेक्टिव एंजेसी पता- महिपालपुर 3.नाम--- संजीव चौधरी काम—सीनियर सेल्स मैनैजर बीएलएस मैनेजमेंट सॉलुशन कंपनी पता—बाराखंबा रोड़ इंद्रप्रकाश विल्डिग 4.नाम—आदित्य फ्री लांस जासूस औऱ अरुण जेटली जासूसी कांड का आऱोपी काम—जासूसी करना पता—दिल्ली 5. नाम- नरेन्द्रर काम- यूपी पुलिस का कांस्टेबल पता—कानपुर आईजी सविलॉस के दफ्तर में तैनात।
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