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चार साल की उम्र में 2006 में पुरी और
भुवनेश्वर के बीच 60 किमी की दौड़ लगाने वाले 'वंडर किड' बुधिया सिंह कथित
तौर पर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) हॉस्टल से लापता हो गए हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि भुवनेश्वर के डीएवी
स्कूल में नौवीं के छात्र बुधिया गर्मी की छुटि्टयों के अंत में पिछले
महीने साई हॉस्टल आए थे।
एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के
अनुसार, बुधिया की कोच रूपनिता पांडा ने बताया कि उन्होंने पिछले महीने
उसकी मां को दो पत्र भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया कि बुधिया कहां पर है।
उसकी मां भुवनेश्वर के सलियासाही झुग्गी में रहती हैं।
बुधिया की बड़ी बहन ने कहा कि उसका भाई अपने चाचा के घर गया था और हो सकता है कि बाद में वह पिछले महीने लौट आया हो।
गौरतलब है कि छोटी उम्र में लंबी दौड़ से
स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को देखते राज्य सरकार ने बुधिया के मैराथन
दौड़ में शामिल होने पर रोक लगा दी और सितंबर 2007 में बुधिया साई हास्टल आ
गया। हालांकि उसके पूर्व कोच बिरंची दास चाहते थे कि वह ओलंपिक्स के
मैराथन में दौड़े।
राज्य सरकार साई हॉस्टल में बुधिया की
शिक्षा, कपड़े और खाना पीना का खर्च उठाती है। लेकिन ऐसा नहीं लगता था कि
बुधिया वहां रहना चाहता है।
इस साल अप्रैल में बुधिया ने कहा था कि वह
हॉस्टल छोड़ने के लिए बेचैन है। उसने कहा कि वह हॉस्टल में केवल डेढ़
किलोमीटर दौड़ता है। कोच ने स्पीड बढ़ाने को कहा था, लेकिन उसे नहीं लगता
है कि इससे उसे कितनी मदद मिलेगी। वह तेज धावक की तरह नहीं दौड़ना चाहता
लेकिन ऐसा उसे करने के लिए कहा जाता है।
बुधिया ने कहा था कि वह चाहता है कि उसे
मैराथन दौड़ के लिए विशेष प्रशिक्षण मिले। उसका विश्वास है कि वह मैराथन
में दौड़ने के लिए पैदा हुआ है। वह अब भी बिना थके घंटों दौड़ सकता है। उसे
हॉस्टल में जेल जैसा लगता है। वह हॉस्टल छोड़ना चाहता है।
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