नहीं रहे हिंदी के मशहूर कवि, नीलाभ अश्क

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हिंदी के प्रख्यात लेखक उपेंद्र नाथ अश्क के पुत्र और कवि, पत्रकार व बेहतरीन अनुवादक नीलाभ अश्क का दिल्ली के बुराड़ी स्थित घर पर निधन हो गया है। नीलाभ बीबीसी की विदेश प्रसारण सेवा में बतौर प्रोड्यूसर काम कर चुके थे और उन्होंने शेक्सपियर, ब्रेख्त और लोर्का के नाटकों का हिंदी में बेहतरीन अनुवाद क्या था। अरुंधति राय के बुकर विजेता उपन्यास द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स का हिंदी अनुवाद उन्होंने ही किया था।
मशहूर कवि भी थे नीलाभ
कवि, अनुवादक नीलाभ का जन्‍म 16 अगस्‍त 1945 को मुंबई, महाराष्‍ट्र में हुआ था। वे मूलत: इलाहाबाद के रहने वाले थे हालांकि बाद में दिल्ली में आकर बस गए। एमए तक की उनकी पढ़ाई भी उन्होंने इलाहबाद से ही पूरी की। 1980 में वो बीबीसी की विदेश प्रसारण सेवा में प्रोड्यूसर हुए और चार साल तक लंदन में रह काम किया। लंदन के अनुभवों पर उन्‍होंने लंदन डायरी सीरिज में 24 कविताएं लिखीं। इसके आलावा उनके कई मशहूर कविता संग्रह भी छपे जिनमें 'अपने आप से लम्बी बातचीत', 'जंगल खामोश है', 'उत्तराधिकार', 'चीजें उपस्थित हैं', 'शब्दों से नाता अटूट है', 'शोक का सुख', 'खतरा अगले मोड़ की उस तरफ है' और 'ईश्वर को मोक्ष' प्रमुख हैं. इसके आलावा उन्होंने 'हिंदी साहित्य का मौखिक इतिहास' नाम की एक चर्चित किताब भी लिखी थी। 
नाटक और फिल्मों के लिए भी लिखा
नीलाभ ने जीवनानन्द दास, सुकान्त भट्टाचार्य, एजरा पाउण्ड, ब्रेख्त, ताद्युश रोजश्विच, नाजिम हिकमत, अरनेस्तो कादेनाल, निकानोर पार्रा और पाब्लो नेरूदा की कविताओं का भी अनुवाद किया है। उन्होंने बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुंधति राय के उपन्यास ‘गॉड आफ स्माल थिंग्स’ और लेर्मोन्तोव के उपन्यास का ‘हमारे युग का एक नायक’ नाम से अनुवाद किया है। नीलाभ रंगमंच, टेलीविजन, रेडियो, पत्रकारिता, फि्ल्म, ध्वनि-प्रकाश कार्यक्रमों और नृत्य-नाटिकाओं के लिए पटकथाए और आलेख भी लिखते थे। वे 'नीलाभ का मोर्चा' नाम का एक ब्लॉग भी चलाते थे।


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